गुरुवार, 29 जून 2017

जून माह के श्रेष्ठ हिन्दी हाइकु

श्रेष्ठ हिन्दी हाइकु, माह जून

बीच में रखें
एक कप चाय का
हो बातचीत
      -जितेन्द्र वर्मा
तेरा सामीप्य
हर दिन लगता
तीज-त्यौहार
      शिव डोयले
दीप की माला
अमावस सघन
तम गहन
      सुशील शर्मा
जुगलबंदी
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प्यार के छंद
लिख रही राधिका
गाती बांसुरी
     -शिव डोयले
प्रीत की धुन
होठ लगी बांसुरी
मधुर गीत
      -प्रियंका वाजपेयी
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ओस की बूंद
पुष्प पंखुरी पर
मुक्ता सदृश
       -डा. रंजना वर्मा
पर्यावरण
ज़हर भरा धुआं
खांसते लोग
       -विष्णु प्रिय पाठक
अपने बच्चे
चोंच मार उड़ाती
माता चिड़िया
       -जितेन्द्र वर्मा
मन की वीणा
गीत बुनती साँसें
ताल स्पंदन
       -प्रियंका वाजपेयी
जोत रहे हैं
असंतुष्ट किसान
हिंसा के खेत
        -अभिशेख जैन
आई न वर्षा
खेतों में उग रही
क़र्ज़  फसल
        -राजीव गोयल
ज्येष्ठ की धूप
आँगन में पसरी
हक़ जताए
       -नरेन्द्र श्रीवास्तव
ज़िंदगी गुत्थी
सुलझाना मुश्किल
जीना आसान
       -जितेन्द्र वर्मा
तुलसी चौरा
आस्था भरा आँगन
दीया ज़िंदगी
      -रमेश कुमार सोनी
सूरज पिता
माता है वसुंधरा
प्राण नियंता
        -सुशील शर्मा
नारी की व्यथा
द्रौपदी, मीरा, राधा
सीता की कथा
        -सूर्य नारायण गुप्त
उदास दादी
वृद्ध माँ को रुलाता
पुत्र फसादी
        -सूर्य नारायण गुप्त
तैरती रही
तन्हाई के सिन्धु में
यादों की किश्ती
        राजीव गोयल
प्रेम के आँसू
निरंतर बरसे
पाने को प्रेम
       -कैलाश कल्ला
उगले आग
रोष में है प्रकृति
मानव जाग
      भावना सक्सेना
मन का तन
दर्द के पैरहन
साँसें लिबास
       -सुशील शर्मा
ढलता सूर्य
कर रहा इशारा
मौत न दूर
       -अभिषेक  जैन
निर्झर काव्य
बहता चहुंओर
बटोरे कवि
       -जितेन्द्र वर्मा
लौट रही हैं
अनमनी लहरें
तट तटस्थ
       -राजीव गोयल
कबाड़ हुए
ज़माना गुज़रते
लोग सामान
        -रमेश कुमार सोनी
किस्सों के गाँव
गप बेचे बाज़ार
देते उधार
       -रमेश कुमार सोनी
अपने लगे
कुर्सी पाने के बाद
सपने लगे
      -नरेन्द्र श्रीवास्तव
खून का रंग
सब धर्मों का एक
फिर क्यों फर्क ?
       -सुशील शर्मा
प्रात: घुमाने
आलसी मालिक को
टौमी  ले जाता
        -राजीव गोयल
स्त्री के दायरे
देह के इर्द-गिर्द
कैसे निकलें?
       -सुशील शर्मा
उदास  दिन
न करने को कुछ
यादों ने घेरा
       -जितेन्द्र वर्मा
स्वाती नक्षत्र
पुनर्वसु बरसे
मन हरसे
      -विष्णु प्रिय पाठक
झाँक रही हैं
खिड़की के शीशे से
वर्षा की बूँदें
      -राजीव गोयल
घटा फासला
दिल से मिला दिल
बना घोंसला
        -निगम 'राज़'
पिता  की सेवा
सबसे बड़ी पूजा
ईश्वर दूजा
        -प्रदीप कुमार दाश 'दीपक'
बारिश बूँदें
आँखों से छलकतीं
चुभता मौन
      -तुकाराम खिल्लारे
ओढ़ के मौन
सहता ही रहा मैं
नित्य छलावा
        -प्रियंका वाजपेयी
मन की व्यथा
अपने ही न जाने
फिर क्या गिला ?
        -प्रियंका वाजपेयी
दोनों ही सही
बस यही बात तो
गलत होती
        राजीव गोयल
है जिंदगानी
सिंदूरी रंगों वाली
शाम सुहानी
        -निगम राज़
झरो ओ मेघ
बरस लो सतत
बुझे तपन
         -सुशील शर्मा
नभ में मेघ
उड़ता जाता हंस
पराए देश
      विष्णु प्रिय पाठक

start listening
what the air says
even in whispers
        Jitendra Varma
दीप्ति बदन
विद्युत् से नयन
स्पंदित मन
       -सुशील शर्मा
खौफ में घर
बस्ती में आग लगी
विश्वास जला
         -रमेश कुमार सोनी
पढ़ाते वर्ण
हाथ पकड़ पिता
मुस्कुराती माँ
        -तुकाराम खिल्लारे
तेरे दीद से
नसीब होगी खुशी
आज ईद पे
       -निगम 'राज़'
नई कोंपलें
बैठी हुई बेख़ौफ़
शाख की गोद
       -राजीव गोयल
बजने लगीं
मंदिर में घंटियाँ
गोधूली वेला
       -राजीव गोयल
monsoon
thunderstorm
a continuous weep
      -Jitendra varma
warm coffee
turned icy cold
a wait worthwhile
        Jitrendra Varma
 जुही सी कली
जग उपवन में
माली ने छली
       -प्रदीप कुमार 'दाश
सूखता जिस्म
धरती की दीवारें
हत चेतन
        -सुशील शर्मा
एक सैलाब
बहा कर ले गया
सारे सपने
       -सुशील शर्मा
घमंड तनी
उतुंग इमारतें
धूल में मिलीं
       - सुशील शर्मा