श्रेष्ठ हिंदी हाइकु माह जुलाई
पुरुवा आई
चन्दन वन से
खुशबू लाई
-सूर्य नारायण गुप्त 'सूर्य'
आँखें पावस
बिखरी फुलवारी
टूटा साहस
सूर्य किरण 'सरोज'
कौमार्य भंग
उड़ने से पहले
कटी पतंग
-सूर्य किरण 'सरोज'
क्वाँरे ख़्वाब
लूट कर ले गया
नर पिशाच
-राजीव गोयल
काले बादल
जंगलों में छिड़कें
जीवन जल
-सूर्य नारायण 'गुप्त'
लगे बजाने
झींगुर शहनाई
बरखा-काले
-डा. रंजना वर्मा
दृष्टि पिया की
झील मेरा बदन
उठी तरंग
-निगम 'राज़
बूँदें ओस की
घास ग़लीचे पर
जड़तीं मोती
-डा. राजीव गोयल
शांत नदी में
हिलोरें सी उठना
आपका आना
-सुरंगमा यादव
पावस आया
बादल घिर आए
आप न आए
-इंद्र कुमार दीक्षित
प्रसन्न नारी
भोर के उजास में
पुष्प क्यारी
-इंद्र कुमार दीक्षित
नन्हा सा आंसू
सागर भर दर्द
कैसे समेटे ?
-सुशील शर्मा
नभ सागर
बादलों की किश्तियाँ
हवाएं चप्पू
-राजीव गोयल
कहाँ जइब
चारु ओर घूमि के
एंहीं अइब
-इंद्र कुमा र दीक्षित
आंसू पी जाऊं
जग रीत निभाऊँ
मैं मुस्काऊँ
-सुरंगमा यादव
पावस माह
विरहिन ह्रदय
निकले आह
-भीम प्रजापति
उमड़े घन
सावन भर नाचे
मयूरी मन
-निगम 'राज़'
तोहफा कहीं
तो कहीं है प्रलय
वर्षा की बूँदें
-राजीव गोयल
लेना मुझको
चाँद का ही खिलौना
बच्चे की जिद
-राजीव गोयल
छद्म उत्साह
देकर कुछ वाह
देता है आह
निगम 'राज़'
धरा दोहन
बढ़ता प्रलोभन
महाविनाश
-सुरंगमा यादव
बांसुरी बाजे
कालीदह में कान्हा
श्री राधे राधे
-भीम प्रजापति
लो लौट आया
दादी का बचपन
बच्चों के संग
-शिव डोयले
बारिश शुरू
लिए मुंह में अंडे
भागी चीटियाँ
-राजिव गोयल
करे उजाड़
अहंकार की बाड़
रिश्तों का गाँव
सुरंगमा यादव
अहं का भार
तिनके से लटका
कोई पहाड़
-सुशील शर्मा
कोई न सगा
सुख के साथी बन
सबने ठगा
-सूर्य नारायण गुप्त 'सूर्य'
पीर सघन
नयन कमल से
बरसे घन
डा. रंजना वर्मा
उठी हिलोर
मन उड़ना चाहे
नभ की ओर
-सोनी जी
कभी जीवित
कभी मृत सा लगा
संसार बोध ---
-प्रियंका वाजपेयी
ढूँढ़ रहा है
कागज़ की वो नाव
वर्षा का जल
-सुरंगमा यादव
तोड़ पहाड़
बहती जल-धारा
पर्वत पुत्री
-डा रंजना वर्मा
पर्वत मन
जब होता उन्मन
बने तरल
-डा, रंजना वर्मा
बंद किवाड़े
आ जाती फिर भी
पीड़ाएं द्वारे
-सुरंगमा यादव
बाँध आया मैं
पीर की मज़ार पे
धागों में पीर
-राजीव गोयल
दैविक सेतु
धरा से नभ तक
इन्द्रधनुष
-राजीव गोयल
होती गर्जन
बढाती धड़कन
गोरी का मन
-निगम 'राज़'
झटके केश
बदली ने अपना
गिरी फुहार
-राजीव गोयल
कारवाँ छोड़
जग से मुंह मोड़
चला अकेला
सुरंगमा यादव
धीरे बोलिए
है फूल अभी सोया
उतरी धूप
-तुकाराम खिल्लारे
इश्क फसल
बोई जो दिल पर
उपजे आंसू
-राजीव गोयल
होती ही नहीं
मोहताज पैसों की
बादशाहत
-निगम 'राज़'
जुगलबंदी
-------
वर्षा की बूँदें
धान की फसल पे
टपके मोती
विष्णु प्रिय पाठक
मोती समझ
पत्तों ने थाम रख़ी
बरखा बूँदें
-शिव डोयले
-----------
साँसों की नदी
गाए उम्मीद गीत
नाव ज़िंदगी
-रमेश कुमार सोनी
खेत उदास
विष के प्रभाव से
आतंकी उगे
-रमेश कुमार सोनी
क्या होगा वहां
जहां जाते अकेले
छोड़ के मेले
-सुरंगमा यादव
बोया जो प्यार
दिलों में उग आया
अपनापन
-राजीव गोयल
गर्द फांकता
अप्रवासी जीवन
दर्द टाँकता
-निगम 'राज़'
व्याकुल नैना
बदरा से बरसे
फिर भी प्यासे
-सुरंगमा यादव
पुन:रोधक
मेरे उनके बीच
चन्द्रग्रहण
-विष्णु प्रिय पाठक
नदी की शैया
लगा के तकिया
सोया कमल
-राजीव गोयल
वृद्धा आश्रम
माँ बाप खाते जहां
बेटे का गम
-सूर्यनारायण गुप्त 'सूर्य'
बरसा आई
अलसाई छातरी
ले अंगडाई
-सुरंगमा यादव
धरा जलती
बूँदें शान्ति पढती
हरा लिखती
-रमेश कुमार सोनी
स्थिति विषम
माँ ने हमें सिखाया
रहना सम
-सूर्य किरण सोनी 'सरोज'
सफ़ेद वस्त्र
बेवा के अंग पर -
केक्टस शूल
-विष्णु प्रिय पाठक
मरी नदी
पी वर्षा संजीवनी
फिर जी उठी
राजीव गोयल
चन्द्र ग्रहण
पूनम की रात में
रूप क्षरण
-सूर्य कारन 'सरोज'
बारिश आई
ठहरा हुआ पानी
ले अंगडाई
बलजीत सिंह
मेघा बरसे
मिलन को तरसे
उषा सूर्य से
-सुरंगमा यादव
लिए बूंदों की
रिमझिम पायल
नाचा सावन
-राजीव गोयल
वृक्षों को वस्त्र
बसंत पहनाए
बरखा धोवे
सुरंगमा यादव
रेत के धोरे
तेज़ पवन संग
उड़ने दौड़े
सूर्य करण 'सरोज'
पुरुवा आई
चन्दन वन से
खुशबू लाई
-सूर्य नारायण गुप्त 'सूर्य'
आँखें पावस
बिखरी फुलवारी
टूटा साहस
सूर्य किरण 'सरोज'
कौमार्य भंग
उड़ने से पहले
कटी पतंग
-सूर्य किरण 'सरोज'
क्वाँरे ख़्वाब
लूट कर ले गया
नर पिशाच
-राजीव गोयल
काले बादल
जंगलों में छिड़कें
जीवन जल
-सूर्य नारायण 'गुप्त'
लगे बजाने
झींगुर शहनाई
बरखा-काले
-डा. रंजना वर्मा
दृष्टि पिया की
झील मेरा बदन
उठी तरंग
-निगम 'राज़
बूँदें ओस की
घास ग़लीचे पर
जड़तीं मोती
-डा. राजीव गोयल
शांत नदी में
हिलोरें सी उठना
आपका आना
-सुरंगमा यादव
पावस आया
बादल घिर आए
आप न आए
-इंद्र कुमार दीक्षित
प्रसन्न नारी
भोर के उजास में
पुष्प क्यारी
-इंद्र कुमार दीक्षित
नन्हा सा आंसू
सागर भर दर्द
कैसे समेटे ?
-सुशील शर्मा
नभ सागर
बादलों की किश्तियाँ
हवाएं चप्पू
-राजीव गोयल
कहाँ जइब
चारु ओर घूमि के
एंहीं अइब
-इंद्र कुमा र दीक्षित
आंसू पी जाऊं
जग रीत निभाऊँ
मैं मुस्काऊँ
-सुरंगमा यादव
पावस माह
विरहिन ह्रदय
निकले आह
-भीम प्रजापति
उमड़े घन
सावन भर नाचे
मयूरी मन
-निगम 'राज़'
तोहफा कहीं
तो कहीं है प्रलय
वर्षा की बूँदें
-राजीव गोयल
लेना मुझको
चाँद का ही खिलौना
बच्चे की जिद
-राजीव गोयल
छद्म उत्साह
देकर कुछ वाह
देता है आह
निगम 'राज़'
धरा दोहन
बढ़ता प्रलोभन
महाविनाश
-सुरंगमा यादव
बांसुरी बाजे
कालीदह में कान्हा
श्री राधे राधे
-भीम प्रजापति
लो लौट आया
दादी का बचपन
बच्चों के संग
-शिव डोयले
बारिश शुरू
लिए मुंह में अंडे
भागी चीटियाँ
-राजिव गोयल
करे उजाड़
अहंकार की बाड़
रिश्तों का गाँव
सुरंगमा यादव
अहं का भार
तिनके से लटका
कोई पहाड़
-सुशील शर्मा
कोई न सगा
सुख के साथी बन
सबने ठगा
-सूर्य नारायण गुप्त 'सूर्य'
पीर सघन
नयन कमल से
बरसे घन
डा. रंजना वर्मा
उठी हिलोर
मन उड़ना चाहे
नभ की ओर
-सोनी जी
कभी जीवित
कभी मृत सा लगा
संसार बोध ---
-प्रियंका वाजपेयी
ढूँढ़ रहा है
कागज़ की वो नाव
वर्षा का जल
-सुरंगमा यादव
तोड़ पहाड़
बहती जल-धारा
पर्वत पुत्री
-डा रंजना वर्मा
पर्वत मन
जब होता उन्मन
बने तरल
-डा, रंजना वर्मा
बंद किवाड़े
आ जाती फिर भी
पीड़ाएं द्वारे
-सुरंगमा यादव
बाँध आया मैं
पीर की मज़ार पे
धागों में पीर
-राजीव गोयल
दैविक सेतु
धरा से नभ तक
इन्द्रधनुष
-राजीव गोयल
होती गर्जन
बढाती धड़कन
गोरी का मन
-निगम 'राज़'
झटके केश
बदली ने अपना
गिरी फुहार
-राजीव गोयल
कारवाँ छोड़
जग से मुंह मोड़
चला अकेला
सुरंगमा यादव
धीरे बोलिए
है फूल अभी सोया
उतरी धूप
-तुकाराम खिल्लारे
इश्क फसल
बोई जो दिल पर
उपजे आंसू
-राजीव गोयल
होती ही नहीं
मोहताज पैसों की
बादशाहत
-निगम 'राज़'
जुगलबंदी
-------
वर्षा की बूँदें
धान की फसल पे
टपके मोती
विष्णु प्रिय पाठक
मोती समझ
पत्तों ने थाम रख़ी
बरखा बूँदें
-शिव डोयले
-----------
साँसों की नदी
गाए उम्मीद गीत
नाव ज़िंदगी
-रमेश कुमार सोनी
खेत उदास
विष के प्रभाव से
आतंकी उगे
-रमेश कुमार सोनी
क्या होगा वहां
जहां जाते अकेले
छोड़ के मेले
-सुरंगमा यादव
बोया जो प्यार
दिलों में उग आया
अपनापन
-राजीव गोयल
गर्द फांकता
अप्रवासी जीवन
दर्द टाँकता
-निगम 'राज़'
व्याकुल नैना
बदरा से बरसे
फिर भी प्यासे
-सुरंगमा यादव
पुन:रोधक
मेरे उनके बीच
चन्द्रग्रहण
-विष्णु प्रिय पाठक
नदी की शैया
लगा के तकिया
सोया कमल
-राजीव गोयल
वृद्धा आश्रम
माँ बाप खाते जहां
बेटे का गम
-सूर्यनारायण गुप्त 'सूर्य'
बरसा आई
अलसाई छातरी
ले अंगडाई
-सुरंगमा यादव
धरा जलती
बूँदें शान्ति पढती
हरा लिखती
-रमेश कुमार सोनी
स्थिति विषम
माँ ने हमें सिखाया
रहना सम
-सूर्य किरण सोनी 'सरोज'
सफ़ेद वस्त्र
बेवा के अंग पर -
केक्टस शूल
-विष्णु प्रिय पाठक
मरी नदी
पी वर्षा संजीवनी
फिर जी उठी
राजीव गोयल
चन्द्र ग्रहण
पूनम की रात में
रूप क्षरण
-सूर्य कारन 'सरोज'
बारिश आई
ठहरा हुआ पानी
ले अंगडाई
बलजीत सिंह
मेघा बरसे
मिलन को तरसे
उषा सूर्य से
-सुरंगमा यादव
लिए बूंदों की
रिमझिम पायल
नाचा सावन
-राजीव गोयल
वृक्षों को वस्त्र
बसंत पहनाए
बरखा धोवे
सुरंगमा यादव
रेत के धोरे
तेज़ पवन संग
उड़ने दौड़े
सूर्य करण 'सरोज'