श्रेष्ठ हिन्दी हाइकु - अगस्त माह
घायल पड़ा
शब्दों के बाणों पर
रिश्तों का भीम
-रालीव गोयल
कहाँ खो गया
आपस का लगाव
वो सांझा चूल्हा
-राजीव गोयल
गुरु की डांट
जैसे कड़वी नीम
सुख असीम
-डा. रंजना वर्मा
प्रेम का रंग
देह से अंतर्मन
चढ़ता गया
-शिव डोयले
सजाया घर
तराश के पत्थर
हुए चोटिल
-सुरंगमा यादव
पंख भी दिए
परवाज भी दिया
मुक्ति ही न दी
-प्रियंका वाजपेशी
चंचल हवा
बना फूल हिंडोला
झूले तितली
-राजीव गोयल
झूला झुलाएं
मृदुल कल्पनाएँ
मोलित मन
-डा. रंजना वर्मा
झूले ललना
सपनों का पालना
पीया के संग
-सुरंगमा यादव
तैर रही है
कागजी नाव पर
बच्चों की खुशी
राजीव गोयल
धरा बुलाती
मेघ पाहुन आए
सुस्वागतम
शिव डोयले
शब्दित हुईं
खामोशियाँ सहसा
जादू ये कैसा
-सुरंगमा यादव
सूना मंदिर
बज उठी घंटियाँ
तुम जो आए
-सुरंगमा यादव
पर्वत पार
घटाओं का संगीत
मेघ मल्हार
निगम 'राज़'
भूख की आग
ठंडी अंगीठी पर
पकाती जुर्म
राजीव गोयल
चाँद लेखनी
लहरों पर लिखूँ
प्रेम रागिनी
-सुरंगमा यादव
हाथी पे चीटी
पहाड़ पे आदमी
औकात शून्य
-रमेश कुमार सोनी
यौवनी उम्र
संबोधन मेघ से
मंडरा रहे
-शिव डोयले
आजादी पर्व
पिजरे में फैलाए
तोते ने पंख
-अभिशेख जैन
ओ मनमीत
बिना कहे कहानी
तुमने जानी
-सुरंगमा यादव
ठहरा नहीं
कारवां कभी कहीं
ठहरे हम
-सुरंगमा यादव
जलती चिता
देखता मैं इसमें
अपना कल
राजीव गोयल
मेघ लौटाते
पानी माँगते पत्र
कंक्रीट तपे
-रमेश कुमार सोनी
हारा है मन
प्राणों का भोझ अब
ढोता है तन
सुरंगमा याद
ज़रा मरण
महाकाल का चक्र
कोई न बचा
-सुशील शर्मा
कम्बल नहीं
ओढ़ के सर्द रातें
सोई गरीबी
-राजीव गोयल
लापरवाही
कागज़ न कलम
खरीदी स्याही
-बलजीत सिंह
वर्षा उदास
बच्चे घरों में कैद
कश्तियाँ रोतीं
-रमेश कुमार सोनी
खींच लकीरें
बाँट दी सरहद
गहरी पीरें
-निगम 'राज़'
घर से दूर
गाँव का समाचार
अखबार में
-शिव डोयले
आवारा पत्ते
छोड़ गए अकेला
बूढा दरख़्त
-राजीव गोयल
राह दुरूह
कितने चक्रव्यूह
भेदती नारी
-सुरंगमा यादव
काले बादल
धरा पर तांडव
कुटिल काल
-राम कुमार माथुर
अपनी ढापें
अपनो के मन की
पीडाएं बांचें
-सुरंगमा यादव
आया सावन
मन उपवन पे
छाया सावन
-राम कुमार माथुर
दादी खांसी
टूट न जाए स्वप्न
बच्चे की नींद
-शिव डोयले
कैलाशवासी
उज्जैन हो या काशी
सर्वत्र व्याप्त
-शिव डोयले
आई बरखा
नहीं बही बहार
जल सैलाब
-राम कुमार माथुर
घिरे बादल
सांवला हुआ नभ
जैसे मोहन
(हाइगा) -डा, रंजना वर्मा
सफ़र ख़त्म
हुई जीवन संध्या
छुपा दिगंत
-अमन चांदपुरी
बुज़ुर्ग हँसा
मुंह से गिर गए
नकली दांत
-राजीव गोयल
रक्षा बंधन
गर्भनाल से जुड़ा
अटूट रिश्ता
-सुशील शर्मा
पड़ा अचेत
शब्द बाण शैया पे
रिश्तों का भीम
राजीव गोयल
बातें बनाती
सारी बिगड़ी बातें
बातों से हल
-रमेश कुमार सोनी
मुख में राम
हाथ में कमंडल
चित्त उद्विग्न
-राम कुमार माथुर
भादों का आना
सावन की बिदाई
नई उम्मीद
-शिव डोयले
सत्य का पाँव
भटक गया आ के
झूठ के गाँव
सूर्य नारायण गुप्त
तम सघन
हौसला आज़मा के
देख ले मन
-सुरंगमा यादव
मौन हो गए
ये विहग वाचाल
निशीथ काल
-सुरंगमा यादव
बारिश आई
ठहरा हुआ पानी
ले अंगड़ाई
- बलजीत सिंह
कोई न सगा
सुख के साथी बन
सब ने ठगा
-सूर्य नारायण गुप्त 'सूर्य'
घायल पड़ा
शब्दों के बाणों पर
रिश्तों का भीम
-रालीव गोयल
कहाँ खो गया
आपस का लगाव
वो सांझा चूल्हा
-राजीव गोयल
गुरु की डांट
जैसे कड़वी नीम
सुख असीम
-डा. रंजना वर्मा
प्रेम का रंग
देह से अंतर्मन
चढ़ता गया
-शिव डोयले
सजाया घर
तराश के पत्थर
हुए चोटिल
-सुरंगमा यादव
पंख भी दिए
परवाज भी दिया
मुक्ति ही न दी
-प्रियंका वाजपेशी
चंचल हवा
बना फूल हिंडोला
झूले तितली
-राजीव गोयल
झूला झुलाएं
मृदुल कल्पनाएँ
मोलित मन
-डा. रंजना वर्मा
झूले ललना
सपनों का पालना
पीया के संग
-सुरंगमा यादव
तैर रही है
कागजी नाव पर
बच्चों की खुशी
राजीव गोयल
धरा बुलाती
मेघ पाहुन आए
सुस्वागतम
शिव डोयले
शब्दित हुईं
खामोशियाँ सहसा
जादू ये कैसा
-सुरंगमा यादव
सूना मंदिर
बज उठी घंटियाँ
तुम जो आए
-सुरंगमा यादव
पर्वत पार
घटाओं का संगीत
मेघ मल्हार
निगम 'राज़'
भूख की आग
ठंडी अंगीठी पर
पकाती जुर्म
राजीव गोयल
चाँद लेखनी
लहरों पर लिखूँ
प्रेम रागिनी
-सुरंगमा यादव
हाथी पे चीटी
पहाड़ पे आदमी
औकात शून्य
-रमेश कुमार सोनी
यौवनी उम्र
संबोधन मेघ से
मंडरा रहे
-शिव डोयले
आजादी पर्व
पिजरे में फैलाए
तोते ने पंख
-अभिशेख जैन
ओ मनमीत
बिना कहे कहानी
तुमने जानी
-सुरंगमा यादव
ठहरा नहीं
कारवां कभी कहीं
ठहरे हम
-सुरंगमा यादव
जलती चिता
देखता मैं इसमें
अपना कल
राजीव गोयल
मेघ लौटाते
पानी माँगते पत्र
कंक्रीट तपे
-रमेश कुमार सोनी
हारा है मन
प्राणों का भोझ अब
ढोता है तन
सुरंगमा याद
ज़रा मरण
महाकाल का चक्र
कोई न बचा
-सुशील शर्मा
कम्बल नहीं
ओढ़ के सर्द रातें
सोई गरीबी
-राजीव गोयल
लापरवाही
कागज़ न कलम
खरीदी स्याही
-बलजीत सिंह
वर्षा उदास
बच्चे घरों में कैद
कश्तियाँ रोतीं
-रमेश कुमार सोनी
खींच लकीरें
बाँट दी सरहद
गहरी पीरें
-निगम 'राज़'
घर से दूर
गाँव का समाचार
अखबार में
-शिव डोयले
आवारा पत्ते
छोड़ गए अकेला
बूढा दरख़्त
-राजीव गोयल
राह दुरूह
कितने चक्रव्यूह
भेदती नारी
-सुरंगमा यादव
काले बादल
धरा पर तांडव
कुटिल काल
-राम कुमार माथुर
अपनी ढापें
अपनो के मन की
पीडाएं बांचें
-सुरंगमा यादव
आया सावन
मन उपवन पे
छाया सावन
-राम कुमार माथुर
दादी खांसी
टूट न जाए स्वप्न
बच्चे की नींद
-शिव डोयले
कैलाशवासी
उज्जैन हो या काशी
सर्वत्र व्याप्त
-शिव डोयले
आई बरखा
नहीं बही बहार
जल सैलाब
-राम कुमार माथुर
घिरे बादल
सांवला हुआ नभ
जैसे मोहन
(हाइगा) -डा, रंजना वर्मा
सफ़र ख़त्म
हुई जीवन संध्या
छुपा दिगंत
-अमन चांदपुरी
बुज़ुर्ग हँसा
मुंह से गिर गए
नकली दांत
-राजीव गोयल
रक्षा बंधन
गर्भनाल से जुड़ा
अटूट रिश्ता
-सुशील शर्मा
पड़ा अचेत
शब्द बाण शैया पे
रिश्तों का भीम
राजीव गोयल
बातें बनाती
सारी बिगड़ी बातें
बातों से हल
-रमेश कुमार सोनी
मुख में राम
हाथ में कमंडल
चित्त उद्विग्न
-राम कुमार माथुर
भादों का आना
सावन की बिदाई
नई उम्मीद
-शिव डोयले
सत्य का पाँव
भटक गया आ के
झूठ के गाँव
सूर्य नारायण गुप्त
तम सघन
हौसला आज़मा के
देख ले मन
-सुरंगमा यादव
मौन हो गए
ये विहग वाचाल
निशीथ काल
-सुरंगमा यादव
बारिश आई
ठहरा हुआ पानी
ले अंगड़ाई
- बलजीत सिंह
कोई न सगा
सुख के साथी बन
सब ने ठगा
-सूर्य नारायण गुप्त 'सूर्य'