शुक्रवार, 31 अगस्त 2018

श्रेष्ठ हिन्दी हाइकु अगस्त माह

 श्रेष्ठ हिन्दी हाइकु - अगस्त माह


घायल पड़ा
शब्दों के बाणों पर
रिश्तों का भीम
      -रालीव गोयल
कहाँ खो गया
आपस का लगाव
वो सांझा चूल्हा
       -राजीव गोयल
गुरु की डांट
जैसे कड़वी नीम
सुख असीम
      -डा. रंजना वर्मा
प्रेम का रंग
देह से अंतर्मन
चढ़ता गया
      -शिव डोयले
सजाया घर
तराश के पत्थर
हुए चोटिल
      -सुरंगमा यादव
पंख भी दिए
परवाज भी दिया
मुक्ति ही न दी
        -प्रियंका वाजपेशी
चंचल हवा
बना फूल हिंडोला
झूले तितली
        -राजीव गोयल
झूला झुलाएं
मृदुल कल्पनाएँ
मोलित मन
       -डा. रंजना वर्मा
झूले ललना
सपनों का पालना
पीया के संग
       -सुरंगमा यादव
तैर रही है
कागजी नाव पर
बच्चों की खुशी
      राजीव गोयल
धरा बुलाती
मेघ पाहुन आए
सुस्वागतम
        शिव डोयले
शब्दित हुईं
खामोशियाँ सहसा
जादू ये कैसा
       -सुरंगमा यादव
सूना मंदिर
बज उठी घंटियाँ
तुम जो आए
       -सुरंगमा यादव
पर्वत पार
घटाओं का संगीत
मेघ मल्हार         
      निगम 'राज़'
भूख की आग
ठंडी अंगीठी पर
पकाती जुर्म
     राजीव गोयल
चाँद लेखनी
लहरों पर लिखूँ
प्रेम रागिनी
       -सुरंगमा यादव
हाथी पे चीटी
पहाड़ पे आदमी
औकात शून्य
       -रमेश कुमार सोनी
यौवनी उम्र
संबोधन मेघ से
मंडरा रहे
        -शिव डोयले
आजादी पर्व
पिजरे में फैलाए
तोते ने पंख
       -अभिशेख जैन
ओ मनमीत
बिना कहे कहानी
तुमने जानी
       -सुरंगमा यादव
ठहरा नहीं
कारवां कभी कहीं
ठहरे हम
       -सुरंगमा यादव
जलती चिता
देखता मैं इसमें
अपना कल
       राजीव गोयल
मेघ लौटाते
पानी माँगते पत्र
कंक्रीट तपे
       -रमेश कुमार सोनी
हारा है मन
प्राणों का भोझ अब
ढोता है तन
      सुरंगमा याद
ज़रा मरण
महाकाल का चक्र
कोई न बचा
        -सुशील शर्मा
कम्बल नहीं
ओढ़ के सर्द रातें
सोई गरीबी
       -राजीव गोयल
लापरवाही
कागज़ न कलम
खरीदी स्याही
      -बलजीत सिंह
वर्षा उदास
बच्चे घरों में कैद
कश्तियाँ रोतीं
     -रमेश कुमार सोनी
खींच लकीरें
बाँट दी सरहद
गहरी पीरें
       -निगम 'राज़'
घर से दूर
गाँव का समाचार
अखबार में
       -शिव डोयले
आवारा पत्ते
छोड़ गए अकेला
बूढा दरख़्त
     -राजीव गोयल
राह दुरूह
कितने चक्रव्यूह
भेदती नारी
      -सुरंगमा यादव
काले बादल
धरा पर तांडव
कुटिल काल
       -राम कुमार माथुर
अपनी ढापें
अपनो के मन की
पीडाएं बांचें
       -सुरंगमा यादव
आया सावन
मन उपवन पे
छाया सावन
    -राम कुमार माथुर
दादी खांसी
टूट न जाए स्वप्न
बच्चे की नींद
      -शिव डोयले
कैलाशवासी
उज्जैन हो या काशी
सर्वत्र व्याप्त
       -शिव डोयले
आई बरखा
नहीं बही बहार
जल सैलाब
       -राम कुमार माथुर
घिरे बादल
सांवला हुआ नभ
जैसे मोहन
      (हाइगा) -डा, रंजना वर्मा
सफ़र ख़त्म
हुई जीवन संध्या
छुपा दिगंत
     -अमन चांदपुरी
बुज़ुर्ग हँसा
मुंह से गिर गए
नकली दांत
      -राजीव गोयल
रक्षा बंधन
गर्भनाल से जुड़ा
अटूट रिश्ता
      -सुशील शर्मा
पड़ा अचेत
शब्द बाण शैया पे
रिश्तों का भीम
      राजीव गोयल
बातें बनाती
सारी बिगड़ी बातें
बातों से हल
      -रमेश कुमार सोनी
मुख में राम
हाथ में कमंडल
चित्त उद्विग्न
      -राम कुमार माथुर
भादों का आना
सावन की बिदाई
नई उम्मीद
     -शिव डोयले
सत्य का पाँव
भटक गया आ के
झूठ के गाँव
       सूर्य नारायण गुप्त
तम सघन
हौसला आज़मा के
देख ले मन
      -सुरंगमा यादव
मौन हो गए
ये विहग वाचाल
निशीथ काल
      -सुरंगमा यादव
बारिश आई
ठहरा हुआ पानी
ले अंगड़ाई
        - बलजीत सिंह
कोई न सगा
सुख के साथी बन
सब ने ठगा
       -सूर्य नारायण  गुप्त 'सूर्य'