मंगलवार, 4 दिसंबर 2018

श्रेष्ठ हिन्दी हाइकु - नवम्बर माह

बांटता फिरे
ये बसंत डाकिया
सुगन्ध पत्र
       -राजीव गोयल
ओस की बूंद
पल में खुशियों ने
आँखें ली मूंद
        -सुरंगमा यादव
प्रीत के पाँव
बिन पायल बाजे
सुनता गाँव
        -सुरंगमा यादव
दीपकोत्सव
स्याह अन्धेरा फैले
साझे दर पे
      -विभा श्रीवास्तव
बारिश आई
ठहरा हुआ पानी
ले अंगडाई
      -बलजीत सिंह
ज्यों तेल बाती
आलोकित जीवन
जीवन साथी
       -शिव डोयले
नोच के फेंकी
कैसा बाल दिवस
कोख की कली
        -राजीव गोयल
बालक मन
मजबूर हुआ है
बंधुआ तन
       -निगम राज़
उसी कक्षा में
दादी का नामांकन
बाल दिवस
      विभा श्रीवास्तव
जग कॉलेज
ज़िंदगी की किताब
बांटती ज्ञान
     -राजीव गोयल
चाँद न तारे
अभिलाषा के फूल
सबसे प्यारे
       -वलजीत सिंह
दूर सबसे
गर्व-गिरि पे तुम
चढ़े जब से
        -सुरंगमा यादव
प्रेम समीर
बहती आसपास
तेरी खुशबू
      -नरेन्द्र श्रीवास्तव
साईं की कृपा
कांटे स्वयं दे रहे
फूलों का पता
     -सुरंगमा यादव
कैसा समाज
शरीफों को ठोकर
चोरों को ताज
       -बलजीत सिंह
 शब्दों की फाँस
वर्षों तक देती है
मन को त्रास
       सुरंगमा यादव
प्रत्येक पौधा
पर्यावरण हेतु
बना है योद्धा
        बलजीत सिंह
आंसू न कहो
पीड़ा के सागर से
छलकी बूँदें
      - सुरंगमा यादव
एक पर का
पंछी फड़फड़ाए
बहते आंसू
     तुकाराम खिल्लारे
वृद्धा आश्रम
माँ बाप खाते जहां
बेटे का गम
     -सूर्य नारायण गुप्त 'सूर्य'
खुद को पाया
जग भर को पाया
पल में मैंने
     -सुरंगमा यादव
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