श्रेष्ठ हिंदी हाइकू अक्तूबर नवम्बर २०१९
बच्चों का घर
दीवारों पर उभरे
ख़्वाब सुन्दर
-राजीव गोयल
सूर्य से मिली
कई दिनों के बाद
धरती खिली
-सुरंगमा यादव
गढ़ी है फांस
निकाल देगी शीघ्र
वक्त की सुई
-सुरंगमा यादव
कन्या का जन्म
मरूस्थल में जैसे
पानी का सोता
-सुशील शर्मा
तुम आये तो
व्यथाएं लग रहीं
भूली कहानी
-सुरंगमा यादव
कच्ची मिटटी है
संवार दो नेह से
बस दो प्यार
-भावना सक्सेना
सागर तट
घर रेती का टूटा
हंसता बच्चा
-तुकाराम खिल्लारे
उंची हवेली
उजाला छिटक के
कुटी में घुसा
-सुरंगमा यादव
न तुम न मैं
कौन भूल पाया है
बीता समय
-अमन चांदपुरी (श्रद्धा सुमन सहित )
पीर पर्वत
लांघ कर मिलेगा
सुख निर्झर
-सुरंगमा यादव
उषा उतरी
सतरंगी डोली में
गीतिका झरी
-पुष्पा सिन्धी
भाव प्रवाहल ल
दूर बहा ले गया
मन तारिणी
-सुरंगमा यादव
वक्त की मार
मुसीबत में मोम
अग्नि से प्यार
-बलजीत सिंह
चाँद आया तो
उछल पडा कैसे
देखो सागर
-सुरंगमा यादव
नहीं ठिकाना
घर से जो निकले
टूट के पत्ते
-सुरंगमा यादव
नारी न होती
पीडाओं को आश्रय
मिलता कहाँ
-सुरंगमा यादव
दर्द या प्रेम
जीवन में समाये
ढाई आखर
-सुरंगमा यादव
मिटटी के दिए
तमस के राज्य को
मिली चुनौती
-सुशील शर्मा
नन्हे दिए ने
अँधेरे को भगाया
बिना डर के
-मुकेश शर्मा
किया कमाल
दीपकों ने ठोंकी है
तमों से ताल
-संतोष कुमार सिंह
धरा के दिए
जलते देख,जले
नभ के तारे
-संतोष कुमार सिंह
दीपों का डेरा
पराजित अँधेरा
अमां की रात
-सुरंगमा यादव
असंख्य दीप
जल में लहराते
तारों के बिम्ब
-सुशील शर्मा
नवम्बर २०१९
शर्म न शंका
राजनीति में बजे
चोरों का डंका
-बलजीत सिंह
माँ का आँचल
इतना निर्मल ज्यों
गंगा का जल
-सूर्य नारायण गुप्त
दूध का क़र्ज़
माँ रोती बेटा भूला
अपना फ़र्ज़
-सूर्य नारायण गुप्त
मन में -सोयी
जाग उठी स्वप्न में
याद पुरानी
-सुरंगमा यादव
प्रेम की लय
अनसुने स्वरों में
मन विलय
-सुरंगमा यादव
ऊषा उतरी
सतरंगी डोली में
गीतिका झरी
-पुष्पा सिंघी
भाव प्रवाह
दूर ले गया बहा
मन तरिणी
-सुरंगमा यादव
पुरानी बस्ती
आज तक जो मेरी
बताती हस्ती
-निगम राज़
खाता है ताने
पहने उलहाने
गरीब बच्चा
-राजीव गोयल
दानी वे गुप्त
घावों पर नमक
छिडकें मुफ्त
-संतोष कुमार सिंह
मीठी लोरियां
बाल किलकारियां
हंसा आँगन
-पुष्पा सिंघी
पर्दे के पीछे
छिपकर लाडला
कहता ढूँढो
-सुरंगमा यादव
बाल उमंग
हमारे समाज ने
की बदरंग
-निगम राज
दुःख की पाती
जीवन भर बांची
फिर भी शेष
-सुरंगमा यादव
आँखों से बहा
पा के सहानभूति
मन का दर्द
-शिव डोयले
विकल मन
व्यथा की वीथियों में
ढूँढ़ता पथ
-सुरंगमा यादव
शैशव छंद
मलय मकरंद
मुग्ध चमन
पुष्पा सिन्धी
जल से भरे
बिन बरसे नैना
धीर ना धरे
-सुरंगमा यादव
वर्षा की झरी
दरख्तों पे लटकी
बूंदों की लड़ी
-राजीव गोयल
लो उड़ चली
बदली मनचली
हवा के संग
-सुरंगमा यादव
है दिव्य सेतु
धरा से नभ तक
इन्द्रधनुष
-राजीव गोयल
चुरा के भागी
बगिया से सुगंध
चोरनी हवा
-राजीव गोयल
होंगे फिर से
पतझड़ के बाद
दरख़्त हरे
-राजीव गोयल
विदाई बेला -
झरा देहरी पार
हरसिंगार
आभा खरे
मन की झील
रात भर चमका
यादों का चाँद
-सुरंगमा यादव
माँ है कमाल
वृद्धाश्रम से पूछे
बेटे का हाल
-अभिषेक जैन
बुने हमने
उधेड़े समय ने
कितने ख़्वाब
-सुरंगमा यादव
लौटी चिड़ी माँ
हर्ष से झूम उठा
भूखा घोंसला
- राजीव गोयल
बहता रहा
जीवन का दरिया
उमर भर
-प्रियंका
गहरे हुए
उदासियों के रंग
सांझ के संग
-सुरंगमा यादव
चश्में के पार
अनुभव की पोथी
बाबा की आँखें
-सुरंगमा यादव
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बच्चों का घर
दीवारों पर उभरे
ख़्वाब सुन्दर
-राजीव गोयल
सूर्य से मिली
कई दिनों के बाद
धरती खिली
-सुरंगमा यादव
गढ़ी है फांस
निकाल देगी शीघ्र
वक्त की सुई
-सुरंगमा यादव
कन्या का जन्म
मरूस्थल में जैसे
पानी का सोता
-सुशील शर्मा
तुम आये तो
व्यथाएं लग रहीं
भूली कहानी
-सुरंगमा यादव
कच्ची मिटटी है
संवार दो नेह से
बस दो प्यार
-भावना सक्सेना
सागर तट
घर रेती का टूटा
हंसता बच्चा
-तुकाराम खिल्लारे
उंची हवेली
उजाला छिटक के
कुटी में घुसा
-सुरंगमा यादव
न तुम न मैं
कौन भूल पाया है
बीता समय
-अमन चांदपुरी (श्रद्धा सुमन सहित )
पीर पर्वत
लांघ कर मिलेगा
सुख निर्झर
-सुरंगमा यादव
उषा उतरी
सतरंगी डोली में
गीतिका झरी
-पुष्पा सिन्धी
भाव प्रवाहल ल
दूर बहा ले गया
मन तारिणी
-सुरंगमा यादव
वक्त की मार
मुसीबत में मोम
अग्नि से प्यार
-बलजीत सिंह
चाँद आया तो
उछल पडा कैसे
देखो सागर
-सुरंगमा यादव
नहीं ठिकाना
घर से जो निकले
टूट के पत्ते
-सुरंगमा यादव
नारी न होती
पीडाओं को आश्रय
मिलता कहाँ
-सुरंगमा यादव
दर्द या प्रेम
जीवन में समाये
ढाई आखर
-सुरंगमा यादव
मिटटी के दिए
तमस के राज्य को
मिली चुनौती
-सुशील शर्मा
नन्हे दिए ने
अँधेरे को भगाया
बिना डर के
-मुकेश शर्मा
किया कमाल
दीपकों ने ठोंकी है
तमों से ताल
-संतोष कुमार सिंह
धरा के दिए
जलते देख,जले
नभ के तारे
-संतोष कुमार सिंह
दीपों का डेरा
पराजित अँधेरा
अमां की रात
-सुरंगमा यादव
असंख्य दीप
जल में लहराते
तारों के बिम्ब
-सुशील शर्मा
नवम्बर २०१९
शर्म न शंका
राजनीति में बजे
चोरों का डंका
-बलजीत सिंह
माँ का आँचल
इतना निर्मल ज्यों
गंगा का जल
-सूर्य नारायण गुप्त
दूध का क़र्ज़
माँ रोती बेटा भूला
अपना फ़र्ज़
-सूर्य नारायण गुप्त
मन में -सोयी
जाग उठी स्वप्न में
याद पुरानी
-सुरंगमा यादव
प्रेम की लय
अनसुने स्वरों में
मन विलय
-सुरंगमा यादव
ऊषा उतरी
सतरंगी डोली में
गीतिका झरी
-पुष्पा सिंघी
भाव प्रवाह
दूर ले गया बहा
मन तरिणी
-सुरंगमा यादव
पुरानी बस्ती
आज तक जो मेरी
बताती हस्ती
-निगम राज़
खाता है ताने
पहने उलहाने
गरीब बच्चा
-राजीव गोयल
दानी वे गुप्त
घावों पर नमक
छिडकें मुफ्त
-संतोष कुमार सिंह
मीठी लोरियां
बाल किलकारियां
हंसा आँगन
-पुष्पा सिंघी
पर्दे के पीछे
छिपकर लाडला
कहता ढूँढो
-सुरंगमा यादव
बाल उमंग
हमारे समाज ने
की बदरंग
-निगम राज
दुःख की पाती
जीवन भर बांची
फिर भी शेष
-सुरंगमा यादव
आँखों से बहा
पा के सहानभूति
मन का दर्द
-शिव डोयले
विकल मन
व्यथा की वीथियों में
ढूँढ़ता पथ
-सुरंगमा यादव
शैशव छंद
मलय मकरंद
मुग्ध चमन
पुष्पा सिन्धी
जल से भरे
बिन बरसे नैना
धीर ना धरे
-सुरंगमा यादव
वर्षा की झरी
दरख्तों पे लटकी
बूंदों की लड़ी
-राजीव गोयल
लो उड़ चली
बदली मनचली
हवा के संग
-सुरंगमा यादव
है दिव्य सेतु
धरा से नभ तक
इन्द्रधनुष
-राजीव गोयल
चुरा के भागी
बगिया से सुगंध
चोरनी हवा
-राजीव गोयल
होंगे फिर से
पतझड़ के बाद
दरख़्त हरे
-राजीव गोयल
विदाई बेला -
झरा देहरी पार
हरसिंगार
आभा खरे
मन की झील
रात भर चमका
यादों का चाँद
-सुरंगमा यादव
माँ है कमाल
वृद्धाश्रम से पूछे
बेटे का हाल
-अभिषेक जैन
बुने हमने
उधेड़े समय ने
कितने ख़्वाब
-सुरंगमा यादव
लौटी चिड़ी माँ
हर्ष से झूम उठा
भूखा घोंसला
- राजीव गोयल
बहता रहा
जीवन का दरिया
उमर भर
-प्रियंका
गहरे हुए
उदासियों के रंग
सांझ के संग
-सुरंगमा यादव
चश्में के पार
अनुभव की पोथी
बाबा की आँखें
-सुरंगमा यादव
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