शुक्रवार, 5 अक्तूबर 2018

श्रेष्ठ हिन्दी हाइकू - सितम्बर माह

श्रेष्ठ हिन्दी हाइकु , माह सितम्बर

चाँद न तारे
अभिलाषा के पुष्प
सबसे प्यारे
      -बलजीत सिंह
कंस जो फूले
शरद दौड़े आता
वर्षा का गौना
      -रमेश कुमार सोनी
करूं प्रतीक्षा
ये मन महाकाव्य
बाँचे तो कोई
       -सुरंगमा यादव
यमुना तीर
हरी हरी ने चीर
रार मचाई
      -(जन्माष्टमी) सुरंगमा यादव
हे राधे कृष्ण
तुम जैसे दूध में
मिला माखन
       -राम कुमार माथुर
श्रमिक मुख
लिख रही झुर्रियां
संघर्ष गाथा
      -सुरंगमा यादव
पथ में गड्ढा
तम में बाँह खींचे
गुरु ज्ञानेश्वर
       -विभा श्रीवास्तव
ये रनिवास
सजी-धजी रानियाँ
प्रतीक्षालय
      -सुरंगमा यादव
खाली है कुर्सी
अब पापा की फोटो
दीवार पर
      -राजीव गोयल
बारिश आई
सोंधी खुश्बू लाई
हवा नहाई
      निगम 'राज़'
घुप्प अधेरा
साफ़ सुथरी स्लेट
बच्चे के हाथ
      अभिषेक जैन
छंटा अन्धेरा
बच्चे की स्लेट पर
बारहखड़ी
     -अभिषेक जैन
दुनिया सारी
पलाश के खून से
खेलती होली
      -राजीव गोयल
देह से परे
कभी मन को मेरे
छूकर देखो
       -सुरंगमा यादव
एक बादल
धरती का आँचल
करता गीला
        -शिव डोयले
जल अमृत
बनता हलाहल
डूबते लोग
       मुकेश शर्मा
संध्या शर्माई
रात को बुला लाई
छुपी छुपाई
      -निगम 'राज़'
मन का सूप
फटके जीवन भर
छाँव व् धूप
      -सूर्य नारायण 'सूर्य'
रवि ने बुनी
किरणों की चुनरी
भोर ने ओढी
     -राजीव गोयल
हर सिगार
करता दिलों पर
गहरी मार
        -बी पी प्रजापति
पग को धोता
एक महासागर
नाम है हिन्द
      -अमन चाँदपुरी
मेघों की धूप
घूँघट से झलके
गोरी का रूप
       -सुरंगमा यादव
जन्म लेता है
आंसुओं की कोख से
विरह काव्य
      अमन चांदपुरी
वर्षा की बूंदें
शांत वातावरण
पत्तों पे बैठीं
      -अमन चांदपुरी
हंसता कांस
बरसात चल दी
घर अपने
      -शिव डोयले
नभ में छाए
इंद्रधनुषी रंग
बादल संग
      -अमन चाँदपुरी
सभी गर्दने
फुर्ती से मुड़ गईं
मैडम आयी
     हास्य हाइकु /- तुकाराम पुंडलिक खिल्लारे
अहं को ढोया
जीवन की किताब
पढ़ न सका
       -शिव डोयले
उड़ती रही
वाष्प की तरह ही
धरा की आह
       -प्रियंका वाजपेयी
ईद का चाँद
साल में एक दिन
हिन्दी आबाद
      -पुष्पा सिन्धी
दबी आवाज़
नारों जयकारों में
बेबस हिन्दी
      -पुष्पा सिन्धी
ओ रे बदरा
इतना न इतरा
अति न भली
      -सुरंगमा यादव
हिन्दी खज़ाना
अंग्रेज़ी डाले डाका
हस्ती है ज़िंदा
        -रमेश कुमार सोनी
कृष्ण की प्रिया
हुई अवतरित
राधिका रानी
       (राधा अष्टमी)- रंजना वर्मा
मैं ही मय हूँ
पक्का खुदगर्जी हूँ
पर फर्जी हूँ
       -निगम 'राज़'
पिघला रहीं
समय की किरणें
उम्र की बर्फ
      -राजीव गोयल
बंद घड़ी सी
ठहरी लगती है
जीवन संध्या
     -सुरंगमा  यादव 
मीठे पानी के
काले बादल बने
सागर खारे   
       -रमेश कुमार सोनी
धिया दिवस
पंख फड़फाड़ाई
चिडी मुक्त हो
       -विभा श्रीवास्तव
कभी न कहा
नैनों में भेद छिपा
क्या क्या न सहा
      प्रिंका वाजपेयी
सूर्य किरण
लिखती नभ पर
भोर के गीत
      -राजीव गोयल
खूब छकाते
जीवन के मसले
उम्र पकाते
     -निगम 'राज़ '
कीकर कैर
धोरों का सौन्दर्य
बबूल बेर
     -सूर्य किरण सोनी 'सरोज'
मेरे समीप
दूर तक फैले हैं
पीड़ा के द्वीप
      -सूर्य नारायण गुप्त 'सूर्य'
सूना मकान
बुनता रहा जाला
एक मकड़ा
      -शिव डोयले
सत्य की सांस
आज भी गतिमान
ज़िंदा है गांधी
      -निगम 'राज़'
-------------------------------