श्रेष्ठ हिन्दी हाइकु , माह सितम्बर
चाँद न तारे
अभिलाषा के पुष्प
सबसे प्यारे
-बलजीत सिंह
कंस जो फूले
शरद दौड़े आता
वर्षा का गौना
-रमेश कुमार सोनी
करूं प्रतीक्षा
ये मन महाकाव्य
बाँचे तो कोई
-सुरंगमा यादव
यमुना तीर
हरी हरी ने चीर
रार मचाई
-(जन्माष्टमी) सुरंगमा यादव
हे राधे कृष्ण
तुम जैसे दूध में
मिला माखन
-राम कुमार माथुर
श्रमिक मुख
लिख रही झुर्रियां
संघर्ष गाथा
-सुरंगमा यादव
पथ में गड्ढा
तम में बाँह खींचे
गुरु ज्ञानेश्वर
-विभा श्रीवास्तव
ये रनिवास
सजी-धजी रानियाँ
प्रतीक्षालय
-सुरंगमा यादव
खाली है कुर्सी
अब पापा की फोटो
दीवार पर
-राजीव गोयल
बारिश आई
सोंधी खुश्बू लाई
हवा नहाई
निगम 'राज़'
घुप्प अधेरा
साफ़ सुथरी स्लेट
बच्चे के हाथ
अभिषेक जैन
छंटा अन्धेरा
बच्चे की स्लेट पर
बारहखड़ी
-अभिषेक जैन
दुनिया सारी
पलाश के खून से
खेलती होली
-राजीव गोयल
देह से परे
कभी मन को मेरे
छूकर देखो
-सुरंगमा यादव
एक बादल
धरती का आँचल
करता गीला
-शिव डोयले
जल अमृत
बनता हलाहल
डूबते लोग
मुकेश शर्मा
संध्या शर्माई
रात को बुला लाई
छुपी छुपाई
-निगम 'राज़'
मन का सूप
फटके जीवन भर
छाँव व् धूप
-सूर्य नारायण 'सूर्य'
रवि ने बुनी
किरणों की चुनरी
भोर ने ओढी
-राजीव गोयल
हर सिगार
करता दिलों पर
गहरी मार
-बी पी प्रजापति
पग को धोता
एक महासागर
नाम है हिन्द
-अमन चाँदपुरी
मेघों की धूप
घूँघट से झलके
गोरी का रूप
-सुरंगमा यादव
जन्म लेता है
आंसुओं की कोख से
विरह काव्य
अमन चांदपुरी
वर्षा की बूंदें
शांत वातावरण
पत्तों पे बैठीं
-अमन चांदपुरी
हंसता कांस
बरसात चल दी
घर अपने
-शिव डोयले
नभ में छाए
इंद्रधनुषी रंग
बादल संग
-अमन चाँदपुरी
सभी गर्दने
फुर्ती से मुड़ गईं
मैडम आयी
हास्य हाइकु /- तुकाराम पुंडलिक खिल्लारे
अहं को ढोया
जीवन की किताब
पढ़ न सका
-शिव डोयले
उड़ती रही
वाष्प की तरह ही
धरा की आह
-प्रियंका वाजपेयी
ईद का चाँद
साल में एक दिन
हिन्दी आबाद
-पुष्पा सिन्धी
दबी आवाज़
नारों जयकारों में
बेबस हिन्दी
-पुष्पा सिन्धी
ओ रे बदरा
इतना न इतरा
अति न भली
-सुरंगमा यादव
हिन्दी खज़ाना
अंग्रेज़ी डाले डाका
हस्ती है ज़िंदा
-रमेश कुमार सोनी
कृष्ण की प्रिया
हुई अवतरित
राधिका रानी
(राधा अष्टमी)- रंजना वर्मा
मैं ही मय हूँ
पक्का खुदगर्जी हूँ
पर फर्जी हूँ
-निगम 'राज़'
पिघला रहीं
समय की किरणें
उम्र की बर्फ
-राजीव गोयल
बंद घड़ी सी
ठहरी लगती है
जीवन संध्या
-सुरंगमा यादव
मीठे पानी के
काले बादल बने
सागर खारे
-रमेश कुमार सोनी
धिया दिवस
पंख फड़फाड़ाई
चिडी मुक्त हो
-विभा श्रीवास्तव
कभी न कहा
नैनों में भेद छिपा
क्या क्या न सहा
प्रिंका वाजपेयी
सूर्य किरण
लिखती नभ पर
भोर के गीत
-राजीव गोयल
खूब छकाते
जीवन के मसले
उम्र पकाते
-निगम 'राज़ '
कीकर कैर
धोरों का सौन्दर्य
बबूल बेर
-सूर्य किरण सोनी 'सरोज'
मेरे समीप
दूर तक फैले हैं
पीड़ा के द्वीप
-सूर्य नारायण गुप्त 'सूर्य'
सूना मकान
बुनता रहा जाला
एक मकड़ा
-शिव डोयले
सत्य की सांस
आज भी गतिमान
ज़िंदा है गांधी
-निगम 'राज़'
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चाँद न तारे
अभिलाषा के पुष्प
सबसे प्यारे
-बलजीत सिंह
कंस जो फूले
शरद दौड़े आता
वर्षा का गौना
-रमेश कुमार सोनी
करूं प्रतीक्षा
ये मन महाकाव्य
बाँचे तो कोई
-सुरंगमा यादव
यमुना तीर
हरी हरी ने चीर
रार मचाई
-(जन्माष्टमी) सुरंगमा यादव
हे राधे कृष्ण
तुम जैसे दूध में
मिला माखन
-राम कुमार माथुर
श्रमिक मुख
लिख रही झुर्रियां
संघर्ष गाथा
-सुरंगमा यादव
पथ में गड्ढा
तम में बाँह खींचे
गुरु ज्ञानेश्वर
-विभा श्रीवास्तव
ये रनिवास
सजी-धजी रानियाँ
प्रतीक्षालय
-सुरंगमा यादव
खाली है कुर्सी
अब पापा की फोटो
दीवार पर
-राजीव गोयल
बारिश आई
सोंधी खुश्बू लाई
हवा नहाई
निगम 'राज़'
घुप्प अधेरा
साफ़ सुथरी स्लेट
बच्चे के हाथ
अभिषेक जैन
छंटा अन्धेरा
बच्चे की स्लेट पर
बारहखड़ी
-अभिषेक जैन
दुनिया सारी
पलाश के खून से
खेलती होली
-राजीव गोयल
देह से परे
कभी मन को मेरे
छूकर देखो
-सुरंगमा यादव
एक बादल
धरती का आँचल
करता गीला
-शिव डोयले
जल अमृत
बनता हलाहल
डूबते लोग
मुकेश शर्मा
संध्या शर्माई
रात को बुला लाई
छुपी छुपाई
-निगम 'राज़'
मन का सूप
फटके जीवन भर
छाँव व् धूप
-सूर्य नारायण 'सूर्य'
रवि ने बुनी
किरणों की चुनरी
भोर ने ओढी
-राजीव गोयल
हर सिगार
करता दिलों पर
गहरी मार
-बी पी प्रजापति
पग को धोता
एक महासागर
नाम है हिन्द
-अमन चाँदपुरी
मेघों की धूप
घूँघट से झलके
गोरी का रूप
-सुरंगमा यादव
जन्म लेता है
आंसुओं की कोख से
विरह काव्य
अमन चांदपुरी
वर्षा की बूंदें
शांत वातावरण
पत्तों पे बैठीं
-अमन चांदपुरी
हंसता कांस
बरसात चल दी
घर अपने
-शिव डोयले
नभ में छाए
इंद्रधनुषी रंग
बादल संग
-अमन चाँदपुरी
सभी गर्दने
फुर्ती से मुड़ गईं
मैडम आयी
हास्य हाइकु /- तुकाराम पुंडलिक खिल्लारे
अहं को ढोया
जीवन की किताब
पढ़ न सका
-शिव डोयले
उड़ती रही
वाष्प की तरह ही
धरा की आह
-प्रियंका वाजपेयी
ईद का चाँद
साल में एक दिन
हिन्दी आबाद
-पुष्पा सिन्धी
दबी आवाज़
नारों जयकारों में
बेबस हिन्दी
-पुष्पा सिन्धी
ओ रे बदरा
इतना न इतरा
अति न भली
-सुरंगमा यादव
हिन्दी खज़ाना
अंग्रेज़ी डाले डाका
हस्ती है ज़िंदा
-रमेश कुमार सोनी
कृष्ण की प्रिया
हुई अवतरित
राधिका रानी
(राधा अष्टमी)- रंजना वर्मा
मैं ही मय हूँ
पक्का खुदगर्जी हूँ
पर फर्जी हूँ
-निगम 'राज़'
पिघला रहीं
समय की किरणें
उम्र की बर्फ
-राजीव गोयल
बंद घड़ी सी
ठहरी लगती है
जीवन संध्या
-सुरंगमा यादव
मीठे पानी के
काले बादल बने
सागर खारे
-रमेश कुमार सोनी
धिया दिवस
पंख फड़फाड़ाई
चिडी मुक्त हो
-विभा श्रीवास्तव
कभी न कहा
नैनों में भेद छिपा
क्या क्या न सहा
प्रिंका वाजपेयी
सूर्य किरण
लिखती नभ पर
भोर के गीत
-राजीव गोयल
खूब छकाते
जीवन के मसले
उम्र पकाते
-निगम 'राज़ '
कीकर कैर
धोरों का सौन्दर्य
बबूल बेर
-सूर्य किरण सोनी 'सरोज'
मेरे समीप
दूर तक फैले हैं
पीड़ा के द्वीप
-सूर्य नारायण गुप्त 'सूर्य'
सूना मकान
बुनता रहा जाला
एक मकड़ा
-शिव डोयले
सत्य की सांस
आज भी गतिमान
ज़िंदा है गांधी
-निगम 'राज़'
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