रविवार, 31 मार्च 2019

श्रेष्ठ हिन्दी हाइकु - मार्च २०१९

आतंकी भीड़
कैसी हवाएं चलीं
उजड़े नीड़
      -पुष्पा सिन्धी 
शांत है हवा
धीरे से घूँघट को
उठाती हवा
      -बी पी प्रजापति
रंगने लगे
फागुन के संग में
टेसू वन के
     -राजीव  गोयल
महुआ फूले
फागुन राग गूँजे
रंगों का नशा
      राजीव गोयल (?)
निंदिया बोए
अंखियों के खेतों में
ख़्वाब फसल
        राजीव गोयल
पलाश खिले
पूरा का पूरा गर्व
धूप का झरे
        -तुकाराम पुंडलिक खिल्लारे
मैं न निभाऊँ
झूठ की परिपाटी
दुर्गम घाटी
       -पुष्पा सिन्धी
नारी की च्यथा
द्रोपदी मीरा राधा
सीता की कथा
        सूर्य नारायण गुप्त
बहुत हुआ
बंद करो अब तो
अग्निपरीक्षा
       -सुरंगमा यादव
हिन्द की नारी
कठिन समय में
कभी न हारी
        -सुरंगमा यादव
काबू मे रख
ख्वाहिशों की लगाम
तू ही सारथी
       -राजीव गोयल
कोमल पांव
परम्परा की बेड़ी
पराया गाँव
      पुष्पा सिन्धी
पराया देश
ढूँढे अपनापन
नई  दुल्हन
     -सुरंगमा यादव
ये शैतानियाँ
बच्चों की भर लाईं
किलकारियां
     निगम राज
उमड़ता है
चाहतों का सागर
चाँद निष्ठुर
      -सुरंगमा यादव
उड़ा अबीर
गोरी का मन अब
धरे न धीर
     सुरंगमा यादव
दिन गुलाबी
वासंती बयार में
रात शराबी
       -सूर्य नारायण गुप्त 
दीपक जला
डर कर अन्धेरा
पैरों में गिरा
      राजीव गोयल
झूठ का शोर
सच खामोश हुआ
भीड़ ने ठगा
       रमेश कुमार सोनी
होली के रंग
प्रियतम के संग
उठे उमंग
       -डा. रंजना वर्मा
फागुन मास
करने को स्वागत
खिला पलाश
        राजीव गोयल
हलचल है
मन के भीतर भी
कोलाहल है
        -निगम 'राज़'
होली की भोर
छिपती फिरे गोरी
मिले न ठौर
        सुरंगमा यादव
छाई कंगाली
क्या होली क्या दीवाली
खाली है थाली
        सुरंगमा यादव
होली में हो ली
साजन संग आज
गालों पे रोली
          भीम प्रजापति
चंग की थाप
गोरी का मुख लाल
फींका गुलाल
         पुष्पा सिन्धी
राधा अनंग
रँगी कृष्ण के रंग
गोपियाँ दंग
        निगम 'राज़'
खोखली हँसी
खनक कह रही
बर्तन खाली
       सुर्रंगामा यादव
तिनका गिरा
जो आँखों में मेरी
टूटा गुरूर
      -राजीव गोयल
दूध नहाई
तारों की चूनरी ले
चांदनी आई
      -सूर्य नारायण गुप्त
जब विचार
बनते व्यवहार
स्वप्न साकार
        सुरंगमा यादव
होली तो हो ली
बता मन की गांठें
क्या तूने खोलीं
       -राजीव गोयल
गिने पृष्ठ हैं
गिनती है अज्ञात
जीवन पोथी
      -सुरंगमा यादव
पात्रों का मेला
जीवन रंगमंच
है अलबेला
     पुष्पा सिन्धी
झूठी  कसमें
सत्य का उपहास
न्याय की आस
     -सुरंगमा यादव
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----------------------समाप्त