शनिवार, 30 नवंबर 2019

श्रेष्ठ हिंदी हाइकू अक्तूबर नवम्बर २०१९

श्रेष्ठ हिंदी हाइकू अक्तूबर नवम्बर  २०१९

बच्चों का घर
दीवारों पर उभरे
ख़्वाब सुन्दर
   -राजीव गोयल

सूर्य से मिली
कई दिनों के बाद
धरती खिली
  -सुरंगमा यादव

गढ़ी है फांस
निकाल देगी शीघ्र
वक्त की सुई
  -सुरंगमा यादव

कन्या का जन्म
मरूस्थल  में जैसे
पानी का सोता
   -सुशील शर्मा

तुम आये तो
व्यथाएं लग रहीं
भूली कहानी
   -सुरंगमा यादव

कच्ची मिटटी है
संवार दो नेह से
बस दो प्यार
  -भावना सक्सेना

सागर तट
घर रेती का टूटा
हंसता बच्चा
   -तुकाराम खिल्लारे

उंची हवेली
उजाला छिटक के
कुटी  में  घुसा
  -सुरंगमा यादव

न तुम न मैं
कौन भूल पाया है
बीता समय
  -अमन चांदपुरी (श्रद्धा सुमन सहित )
पीर पर्वत
लांघ कर मिलेगा
सुख निर्झर
      -सुरंगमा यादव
उषा उतरी
सतरंगी डोली में
गीतिका झरी
      -पुष्पा सिन्धी
भाव प्रवाहल ल 
दूर बहा ले गया
मन तारिणी
        -सुरंगमा यादव
वक्त की मार
मुसीबत में मोम
अग्नि से प्यार
         -बलजीत सिंह
चाँद आया तो
उछल  पडा कैसे
देखो सागर
   -सुरंगमा यादव
नहीं ठिकाना
घर से जो निकले
टूट के पत्ते
   -सुरंगमा यादव
नारी न होती
पीडाओं को आश्रय
मिलता कहाँ
    -सुरंगमा यादव
दर्द या प्रेम
जीवन में समाये
ढाई आखर
    -सुरंगमा यादव
मिटटी के दिए
तमस के राज्य को
मिली चुनौती
   -सुशील शर्मा
नन्हे दिए ने
अँधेरे को भगाया
बिना डर के
   -मुकेश शर्मा
किया कमाल
दीपकों ने ठोंकी है
तमों से ताल
   -संतोष कुमार सिंह
धरा के दिए
जलते देख,जले
नभ के तारे
   -संतोष कुमार सिंह
दीपों का डेरा
पराजित अँधेरा
अमां की रात
   -सुरंगमा यादव
असंख्य दीप
जल में लहराते
तारों के बिम्ब
    -सुशील शर्मा


नवम्बर २०१९

शर्म न शंका
राजनीति में बजे
चोरों का डंका
   -बलजीत सिंह
माँ का आँचल
इतना निर्मल ज्यों
गंगा का जल
      -सूर्य नारायण गुप्त
दूध का क़र्ज़
माँ रोती बेटा भूला
अपना फ़र्ज़
    -सूर्य नारायण गुप्त
मन में -सोयी
जाग उठी स्वप्न  में
याद पुरानी
   -सुरंगमा यादव
प्रेम की लय
अनसुने स्वरों में
मन विलय
   -सुरंगमा यादव
ऊषा उतरी
सतरंगी डोली में
गीतिका झरी
   -पुष्पा सिंघी
भाव प्रवाह
दूर ले गया बहा
मन तरिणी
   -सुरंगमा यादव
पुरानी बस्ती
आज तक जो मेरी
बताती हस्ती
     -निगम राज़
खाता है ताने
पहने उलहाने 
गरीब बच्चा
   -राजीव गोयल
दानी  वे गुप्त
घावों पर नमक
छिडकें मुफ्त
   -संतोष कुमार सिंह
मीठी लोरियां
बाल किलकारियां
हंसा आँगन
  -पुष्पा सिंघी
पर्दे के पीछे
छिपकर लाडला
कहता ढूँढो
   -सुरंगमा यादव
बाल उमंग
हमारे समाज ने
की बदरंग
   -निगम राज
दुःख की पाती
जीवन भर बांची
फिर भी शेष
   -सुरंगमा यादव
आँखों से बहा
पा के सहानभूति
मन का दर्द
   -शिव डोयले
विकल मन
व्यथा की वीथियों में
ढूँढ़ता पथ
  -सुरंगमा यादव
शैशव छंद
मलय मकरंद
मुग्ध चमन
    पुष्पा सिन्धी
जल से भरे
बिन बरसे नैना
धीर ना धरे
   -सुरंगमा  यादव
वर्षा की झरी 
दरख्तों पे लटकी
बूंदों की लड़ी
   -राजीव गोयल
लो उड़ चली
बदली मनचली
हवा के संग
   -सुरंगमा यादव
है दिव्य सेतु 
धरा से नभ तक
इन्द्रधनुष
   -राजीव गोयल
चुरा के भागी
बगिया से सुगंध
चोरनी हवा
   -राजीव गोयल
होंगे फिर से
पतझड़ के बाद
दरख़्त हरे
   -राजीव गोयल
विदाई बेला -
झरा देहरी पार
हरसिंगार
   आभा खरे
मन की झील
रात भर चमका
यादों का चाँद
     -सुरंगमा यादव
माँ है कमाल
 वृद्धाश्रम  से पूछे
बेटे का हाल
  -अभिषेक जैन
बुने हमने
उधेड़े समय ने
कितने ख़्वाब
   -सुरंगमा यादव
लौटी चिड़ी माँ
हर्ष से झूम उठा
भूखा घोंसला
   - राजीव गोयल
बहता रहा
जीवन का दरिया
उमर  भर
   -प्रियंका
गहरे हुए
उदासियों के रंग
सांझ के संग
   -सुरंगमा यादव
चश्में के पार
अनुभव की पोथी
बाबा की आँखें
   -सुरंगमा यादव
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