बुधवार, 1 मई 2019

श्रेष्ठ हिन्दी हाइकु  - अप्रेल माह

मृत्यु अटल
आज नहीं तो कल
व्यर्थ विकल
      -सुरंगमा यादव
मैं या मय  का
होते खतरनाक
दोनों ही नशे
      -राजीव गोयल
अहं पर्वत
बौने लगते सारे
अपने आगे
       -सुरंगमा यादव
प्रत्येक पौधा
पर्यावरण हेतु
बना है योद्धा
        -बलजीत सिंह
हल्की फुहार
सौन्दर्य का दर्पण
देती निखार
       बलजीत सिंह
श्यामा लावण्य
नालफूल का हीरा
मेघ में चाँद
       -विभा श्रीवास्तव
मिटी  दिलासा
जगी दिल में आशा
मिटी  निराशा 
       -सुरंगमा यादव     
चैत  की सांझ
अनमना मौसम
एकाकी चाँद
      पुष्पा सिन्धी
जीवन व्यथा
लिखने जब बैठी
बनी कविता
       -सुरंगमा यादव
गहरी नदी
सूख के रेत हुई
मिट्टी पलीद
      -नरेन्द्र श्रीवास्तव
टालते काम
बीते कितने कल
आया न कल
       -सुरंगमा यादव
अंधी  है दौड़
कैसे कितना पा लूँ
मची है होड़
       सुरंगमा यादव
गर्म जो हुआ
सूरज का तंदूर
पकी फसलें
     -राजीव गोयल
मोती ओस के
दूब के बदन से
गर्मी  ने लूटे
       -राजीव गोयल
बड़े मकान
शो पीस की तरह
सजे हैं रिश्ते
        -सुरंगमा यादव
आएगा बेटा
वृद्ध है आश्रम में
प्रतीक्षारत
       -राजीव गोयल
हवा न आग
उम्मीदों के सहारे
जले चराग
      -बलजीत सिंह
दूर से दिखे
मंदिर का चिराग
आशा का पुंज
      -प्रियंका वाजपेयी
खुश हूँ मैं कि
आधुनिक युग में
ज़मीन से जुडी
        -प्रियंका 'अद्वैता'
प्रेम की कमी
मन की धरा पर
दरारें पडीं
       -सुरंगमा यादव     
समेटती हूँ
नींद के कतरों को
पूरी ही रात
       -प्रियंका वाजपेयी
पाँव में छाले
अपनी ही शर्तों पर
जिया है कोई
       -प्रियंका 'अद्वैता'
मजबूर हैं
इस धरा पे हम
मज़दूर हैं
     भीम प्रजापति
     (एक मई, मज़दूर दिवस )

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---------------------------------------समाप्त