हिन्दी के श्रेष्ठ हाइकु -जुलाई २०१९
प्रेम तपस्या
जीवन तपोवन
मन साधक
-सुरंगमाँ यादव
ढलती उम्र
यादों की लाठी थाम
चलता वक्त
-शिव डोयले
मेघों की डोली
आई वर्षा दुल्हन
हवा कहार
--राजीव गोयल
नन्ही सी बूंद
मेघ की दहलीज़
छोड़ के चली
-सुरंगमा यादव
छोड़ पीहर
जब बारिश चली
रोई बदली
-राजीव गोयल
बूढ़े माँ बाप
बासी अखबार
कोने में पड़े
-राजीव गोयल
आषाढ़ मेघ
जल कलश लिए
पावस पर्व
-नरेन्द्र श्रीवास्तव
घास पे पड़ी
मोतियों की चादरें
बूंदों की लड़ी
-प्रियंका
चिड़िया उडी
हज़ार बार देखा
पीछे न मुड़ी
-निगम राज़
खुश थे बड़े
सपनों में थे खोए
जागे तो रोए
-सुरंगमा यादव
जा बसे दूर
छोड़ गए आँखों में
यादें पुरानी
-शिव डोयले
वंशी की तान
तुमसे मिलकर
छेड़ते प्राण
-सुरंगमा यादव
सूरज उगा
कर सूर्य नमन
दीपक बुझा
-राजीव गोयल
नियत सच्ची
मेहनत की रोटी
लगती अच्छी
-बलजीत सिंह
बारिश आई
ठहरा हुआ पानी
ले अंगडाई
-बलजीत सिंह
मस्त हवाएं
सागर की लहरें
तुम्हें बुलाएं
-निगम राज़
गा रहा बांस
मिल हवा के संग
सुरीला गान
-राजीव गोयल
प्रत्येक पौधा
पर्यावरण हेतु
बना है योद्धा
-बलजीत सिंह
बरसे मेघ
तृप्त हो रहीं जड़ें
झूमते पेड़
-सुरंगमा यादव
अन्धेरा घर
जलता विदेश में
कुल दीपक
-राजीव गोयल
कभी कभी तो
आईना देखा करो
दिखाने वालो
-सुरंगमा यादव
अन्धेरा रोकें
बन प्रहरी खड़े
द्वार पर दिये
-राजीव गोयल
दरक गया
यथार्थ के घूंसे से
भ्रम का कांच
-अभिशेख जैन
मेरे काव्य में
नाचते मंद मंद
शब्दों के छंद
-निगम राज़
थका सूरज
पहार से लुढ़क
नदी में डूबा
-राजीव गोयल
यादें थीं सोयी
सावनी फुहारों ने
आ के जगाया
-सुरंगमा यादव
भूखे घरों में
वादों की हांडी चढी
ताकते चूहे
-रमेश कुमार सोनी
आसमान में
घटाओं का पहरा
सूर्य सहमा
-सुरंगमा यादव
मेघ गर्जन
चपला की चमक
डरता मन
-शिव डोयले
बड़े विचित्र
मन-केनवास पे
यादों के चित्र
-सुरंगमा यादव
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प्रेम तपस्या
जीवन तपोवन
मन साधक
-सुरंगमाँ यादव
ढलती उम्र
यादों की लाठी थाम
चलता वक्त
-शिव डोयले
मेघों की डोली
आई वर्षा दुल्हन
हवा कहार
--राजीव गोयल
नन्ही सी बूंद
मेघ की दहलीज़
छोड़ के चली
-सुरंगमा यादव
छोड़ पीहर
जब बारिश चली
रोई बदली
-राजीव गोयल
बूढ़े माँ बाप
बासी अखबार
कोने में पड़े
-राजीव गोयल
आषाढ़ मेघ
जल कलश लिए
पावस पर्व
-नरेन्द्र श्रीवास्तव
घास पे पड़ी
मोतियों की चादरें
बूंदों की लड़ी
-प्रियंका
चिड़िया उडी
हज़ार बार देखा
पीछे न मुड़ी
-निगम राज़
खुश थे बड़े
सपनों में थे खोए
जागे तो रोए
-सुरंगमा यादव
जा बसे दूर
छोड़ गए आँखों में
यादें पुरानी
-शिव डोयले
वंशी की तान
तुमसे मिलकर
छेड़ते प्राण
-सुरंगमा यादव
सूरज उगा
कर सूर्य नमन
दीपक बुझा
-राजीव गोयल
नियत सच्ची
मेहनत की रोटी
लगती अच्छी
-बलजीत सिंह
बारिश आई
ठहरा हुआ पानी
ले अंगडाई
-बलजीत सिंह
मस्त हवाएं
सागर की लहरें
तुम्हें बुलाएं
-निगम राज़
गा रहा बांस
मिल हवा के संग
सुरीला गान
-राजीव गोयल
प्रत्येक पौधा
पर्यावरण हेतु
बना है योद्धा
-बलजीत सिंह
बरसे मेघ
तृप्त हो रहीं जड़ें
झूमते पेड़
-सुरंगमा यादव
अन्धेरा घर
जलता विदेश में
कुल दीपक
-राजीव गोयल
कभी कभी तो
आईना देखा करो
दिखाने वालो
-सुरंगमा यादव
अन्धेरा रोकें
बन प्रहरी खड़े
द्वार पर दिये
-राजीव गोयल
दरक गया
यथार्थ के घूंसे से
भ्रम का कांच
-अभिशेख जैन
मेरे काव्य में
नाचते मंद मंद
शब्दों के छंद
-निगम राज़
थका सूरज
पहार से लुढ़क
नदी में डूबा
-राजीव गोयल
यादें थीं सोयी
सावनी फुहारों ने
आ के जगाया
-सुरंगमा यादव
भूखे घरों में
वादों की हांडी चढी
ताकते चूहे
-रमेश कुमार सोनी
आसमान में
घटाओं का पहरा
सूर्य सहमा
-सुरंगमा यादव
मेघ गर्जन
चपला की चमक
डरता मन
-शिव डोयले
बड़े विचित्र
मन-केनवास पे
यादों के चित्र
-सुरंगमा यादव
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