मंगलवार, 1 जनवरी 2019

दिसंबर माह के श्रेष्ठ हिन्दी हाइकु

तुम हो मेरे
रेत पे जैसे कोई
चित्र उकेरे
       -सुरंगमा यादव
सर्दी में गर्मी
बुनती सलाई पे
हमारी अम्मा
       -राजीव गोयल
घायल किया
और ज़िंदा भी रखा
उम्मीदों ने ही
        -राजीव गोयल
सत्य का पाँव
भटक गया आ के
झूठ के गाँव
        -सूर्य नारायण गुप्त 'सूर्य'
ढील पे ढील
फँस गई पेंच में
कहीं पतंग
       -सुरंगमा यादव
सावन मन
शब्द हथेली पर
रचें हाइकु
       -नरेन्द्र श्रीवास्तव
काव्य के वन
महकते हाइकु
चन्दन बन
       -अभिषेक जैन
जागा संसार
गंध बाँट सो गया
हरसिंगार
      - डा. शिव जी श्रीवास्तव
उम्र पोनी से
बुने मृत्यु चादर
काल पुरुष
       - डा. शिव जी श्रीवास्तव
मिले सत्कार
जीवन में भर लो
ऐसे संस्कार
        बलजीत सिंह
पूरब दिशा
सुना रहा सूरज
भोर के गीत
      -राजीव गोयल
ठण्ड की रात
अंधेरी पगडंडी
सूर्य की खोज
     सुशील शर्मा
लंबा शैशव
छोड़ हाइकु हुआ
अब तो युवा
      -सुरंगमा यादव
लव्जों की नदी
रचती इतिहास
पढ़ती सदी
       -निगम 'राज़'
शीत कांटे-सी
मौसम गुलाब -सा
मन तितली
       -नरेन्द्र श्रीवास्तव
शब्द वीरान
खोखले से, खामोश
झरते पत्ते
      -सुशील शर्मा
स्वेद की स्याही
श्रम का महाकाव्य
रचे किसान
        -सुरंगमा यादव
ढूँढे शिकार
गरीबों की बस्ती में
सर्दी की रात
      -राजीव गोयल
अन्धेरा घोर
लाएंगे मिलकर
सुहानी भोर
      -सुरंगमा यादव
चैन से जिया?
या सुकून से मरा ?
बता तो सही ....
      -प्रियंका वाजपेयी
एकाकीपन
उद्वेलित रहता
सागर मन
      -सुरंगमा यादव
सन्नाटा बोला
शोर ने छुपाया जो
वही सच था
       -प्रियंका वाजपेयी
मन भारी था
बरस पड़ा वह
बादल जैसा
       -डा. सुरेन्द्र वर्मा
अकड़े तुम
हम भी रहे तने
बात क्या बने
      -सुरंगमा यादव
गृह कलह
बिखरे ब्लॉक्स को
जोड़े बालक
      -अभिषेक जैन
हंसी उड़ा लो
नहीं रहेंगे जब
तब पूछोगे
     -डा.सुरेन्द्र वर्मा
नोक न तीर
कलेजा देती चीर
चुभती शीत
       -सुरंगमा यादव
हवाएं सर्द
पेड़ों पर टंगे पत्ते
हो गए ज़र्द
      -राजीव गोयल
मिलिट्री स्कूल
छोटे का फ़ार्म भरे
शहीद की माँ
      -अभिषेक जैन
शीत ओढ़ के
फुटपाथ पे सोया
फिर न जागा
       -सुरंगमा यादव
जल से रिक्त
कटि पर गागर
लम्बी कतार
       -तुकाराम पुंडलिक खिल्लारे
वन ढूँढ़ते
मोर गाँव में आया
बिसरा नाच
       तुकाराम पुंडरिक खिल्लारे 
साल सरका
देता गया स्मृतियाँ
बांचते हम
       प्रियंका वाजपेयी
हुई अलग
जब पेड़ से पत्ती
कुचली गई
      -राजीव गोयल
कोरा कागज़
तनहा जीवन सा
अक्षर जोहे
      -नरेन्द्र श्रीवास्तव
राख में उगे
आशा के दूब हरे
श्रम का भाग्य
       -रमेश कुमार सोनी
देखो हाइकु
हथेली पर बैठा
बटरफ्लाय
      -तुकाराम पुंडलिक खिल्लारे
मोह की माया
अहसास प्यार का
उभर आया
      -निगम 'राज़'
पत्ता टूटता
आशा और निराशा
भूत भविष्य
       -शिव डोयले
धूल हटेगी
फिर से निखरेंगे
मलिन पात
     -सुंरंगमा यादव
उधड़ गई
सी लूंगा फिर से
नई  ज़िंदगी
      -राजीव गोयल
खिली सेवंती
लगन मंडल पे
आव्या की छाया
      विभारानी शीवास्तव
* 'आव्या' - सुबह की पहली किरण
भाव निश्छल
रख ह्रदय तल
मिलेगा फल
       -सुरंगमा यादव
ओढ़ रजाई
मीठे सपने देखे
निशा बावरी
        -शिव डोयले
है खिली हुई
सुख की भोर नई
जागो तो सही
       -सुरंगमा यादव
जीवन संध्या
एकाकीपन साथ
शिथिल गात
       -सुरंगमा यादव
सर्द आलम
हम हुए मुश्ताक
धूप बेज़ार
      डा. सुरेन्द्र वर्मा
गुज़रा साल
भर गया तिजोरी
यादों से फिर
       -राजीव गोयल
कहीं तो होगी
नैराश्य परिणति
योग या भोग
       -सुरंगमा यादव
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समाप्त