जुलाई के श्रेष्ठ हाइकु
नभ ने भेजा
बादल टेंकर से
धरा को जल
नरेन्द्र श्रीवास्तव
छलक पड़ा
तट पर आते ही
नाव का दर्द
शिव डोयले
प्रेम का पेड़
मुश्किल से उगता
जड़ गहरी
-सुशील शर्मा
बेताल कथा
आतंकी सुना रहा
अपनी कथा
विष्णु प्रिय पाठक
गहरी आँखें
बुज़ुर्ग ढूँढ़ रहा
अपनी लाठी
-विष्णु प्रिय पाठक
स्वप्न परी सा
कितना भव्य झूला
इंद्र धनुष
डा. रंजना वर्मा
रैन बसेरा
करें स्वप्न के पंछी
सुबह उड़ें
डा, रंजना वर्मा
जुगल बंदी
-----------
सुबह से ही
हो रही रिमझिम
भीगा है मन
जितेंद्र वर्मा
मेघों से घिरा
अम्बर का विस्तार
भीगी है धरा
-प्रियंका वाजपेयी
---------------
देता रहा है
दिल पर दस्तक
ज़मीर सदा
-प्रियंका वाजपेयी
लिखी धूप ने
वृक्षों की कलम से
छाँव की कथा
-राजीव गोयल
बरसा पानी
प्यासी नदी ने पिया
जी भर पानी
नरेन्द्र श्रीवास्तव
अपनापन
मुस्कान की छुअन
छलके मन
-सुशील शर्मा
बड़े मित्र का
कर रहे स्वागत
भोर के तारे
विष्णुप्रिय पाठक
मिले ही नहीं
बिछड़े सौ सौ बार
कैसा ये प्यार
मंजूषा मन
धीरे बोलिए
है फूल अभी सोया
धूप उतार
तुकाराम खिल्लारे
नैनों में नमी
बारिशों का मौसम
रोया है कोई
प्रियंका वाजपेयी
कुछ लमहे
दफ़न तो होते हैं
मरते नहीं
प्रियंका वाजपेयी
गुरु वरण
तेजोमय संस्कार
आत्म प्रदीप्त
-सुशील शर्मा
अपना गुरु
बैठा है अंतर में
सुनो तो सही
-जितेन्द्र वर्मा
गुरु पारस
छू लेता जिसको भी
करे कुंदन
-राजीव गोयल
गुरु पूर्णिमा
मधुशाला में बैठे
शिष्य आचार्य
-विष्णुप्रिय पाठक
गिनू कितने
यादों के ये मोती
माला दुःख की
तुकाराम खिल्लारे
बरसा पानी
कागज़ की नाव पे
स्वप्न सवार
नरेन्द्र श्रीवास्तव
नमी हवा में
आँखें भी हुईं नम
पानी न आया
-जितेन्द्र वर्मा
मकड़ जाल
गिरफ्त में मच्छर
बना आहार
-विष्णुप्रिय पाठक
तैरते गीत
यादों के समुद्र
लय तुम्हारी
-जित्रेंद्र वर्मा
पत्तों ने थामी
बरसात की बूँदें
नीड़ बचाने
-नरेन्द्र श्रीवास्तव
सहा न जाए
खामोशियों का शोर
कुछ तो बोल
-राजीव गोयल
डरी रोशनी
घने बादल देख
छिपने लगी
-डा. रंजना वर्मा
उन्हें नमन
सीमा ओर चले
जो बाँध कफ़न
-सूर्य नारायण गुप्त
मन का सूप
फटके जीवन की
छाँव और धूप
-सूर्य नारायण गुप्त
सखियाँ साथ
मेहदी लगे हाथ
ऋतु सावन
डा. रंजना वर्मा
जुगलबंदी
------------
मिट्टी में सोया
बूंदों ने सहलाया
जगा अंकुर
डा. रंजना वर्मा
जगा अंकुर
नन्हा पौधा बनके
बूंदों ने सींचा
-जितेन्द्र वर्मा
----------------
शब्दों में ढली
भावों की अभिव्यक्ति
रचना बनी
-शिव डोयले
बजे नगाड़े
मेघों की पालकी में
वर्षा पधारे
-राजीव गोयल
डरी रोशनी
घने बादल देख
छिपने लगी
-डा. रंजना वर्मा
श्वास संगीत
सुर लय ताल में
बजाए गीत
-निगम 'राज़'
पावस पर्व
मेघ समूह करे
जल तर्पण
-नरेन्द्र श्रीवास्तव
वर्षा जो आई
धरा की तबीयत \
हरी हो गई
-नरेन्द्र शीवास्तव
मन का मोर
बरखा में नाचता
धूप में खडा
-तुकाराम खिल्लारे
सारे के सारे
संबंधों के पाये हैं
रिश्ते हमारे
-राजीव निगम 'राज़'
नारी की व्यथा
द्रोपदी मीरा राधा
सीता की कथा
-सूर्य नारायण गुप्त
सावन गीत
वर्षा की बूंदों संग
युगलबंदी
-नरेन्द्र श्रीवास्तव
सावन स्वप्न
कागज़ की नाव से
सैर सपाटा
-नरेन्द्र श्रीवास्तव
कहे न कोई
ब्रह्म तत्व का ज्ञान
गूंगे का स्वाद
-कैलाश कल्ला
बूँदें पाज़ेब
धरती को छूते ही
छम से बजीं
-नरेंद्र श्रीवास्तव
मेघ ने भेजी
सावन सगुन की
बूंदों की बिंदी
-नरेन्द्र श्रीवास्तव
यादों के धागे
बन रहे अतीत
वर्तमान में
-राजीव गोयल
रास्ते बनाके
चलते रहें हम
अपनी राह
-राजीव निगम 'राज़'
राह निहारें
मृदुल भावनाएं
मन के द्वार
-डा. रंजना वर्मा
dead end ?
look, and go back
take another road
Jitendra varma
आई किरण
संवार कर केश
चल दी निशा
--राजीव गोयल
फूलों की झोली
बिखर जाने पर
बने रंगोली
-वलजीत सिंह
बादल काले
नील गगन पर
काजल डाले
-वलजीत सिंह
जुगल बंदी
-------------
अब की बार
सावन विकराल
जल का ज्वार
-सूर्य करण सोनी
जल उफान
हाहाकारी अवस्था
जीव विनाश
-राजीव निगम 'राज़'
-----------------------
टूटी जो डोर
उड़ चला विहंग
फैलाए डैना
-प्रियंका वाजपेयी
स्वप्न सुन्दर
विचार रहा मन
सब्ज़ बाग़ में
-प्रियंका वाजपेयी
सिंदूरी शाम
गोधूल भरी वेला
लौटता धाम
-सुशील शर्मा
कोमा में गया
फिर जागा ही नहीं
मेरा ज़मीर
-आर पी शुक्ल
(जितेन्द्र वर्मा के सौजन्य से )
पता पूछती
अमावस की रात
चाँद खोजती
-नरेन्द्र श्रीवास्तव
बरछी भाले
आत्मरक्षा की चाह
मौत हवाले
बलजीत सिंह
झूठ फरेब
इन सबका मन्त्र
भर लो जेब
-बलजीत सिंह
बरसे नहीं
हनक दिखा गए
काले बादल
दिनेश चन्द्र पाण्डेय
बारिश आई
ठहरा हुआ पानी
ले अंगडाई
बलजीत सिंह
अब्रे बहार
इतना तो बरस
जा न पाए वो
-डा. रंजना वर्मा
लिख गीत में
गुलाब की सुगंध
कांटे का दर्द
-शिव डोयले
बहती हवा
बहका ले जाती है
मेरे मन को
-अमन चाँदपुरी
नभ ने भेजा
बादल टेंकर से
धरा को जल
नरेन्द्र श्रीवास्तव
छलक पड़ा
तट पर आते ही
नाव का दर्द
शिव डोयले
प्रेम का पेड़
मुश्किल से उगता
जड़ गहरी
-सुशील शर्मा
बेताल कथा
आतंकी सुना रहा
अपनी कथा
विष्णु प्रिय पाठक
गहरी आँखें
बुज़ुर्ग ढूँढ़ रहा
अपनी लाठी
-विष्णु प्रिय पाठक
स्वप्न परी सा
कितना भव्य झूला
इंद्र धनुष
डा. रंजना वर्मा
रैन बसेरा
करें स्वप्न के पंछी
सुबह उड़ें
डा, रंजना वर्मा
जुगल बंदी
-----------
सुबह से ही
हो रही रिमझिम
भीगा है मन
जितेंद्र वर्मा
मेघों से घिरा
अम्बर का विस्तार
भीगी है धरा
-प्रियंका वाजपेयी
---------------
देता रहा है
दिल पर दस्तक
ज़मीर सदा
-प्रियंका वाजपेयी
लिखी धूप ने
वृक्षों की कलम से
छाँव की कथा
-राजीव गोयल
बरसा पानी
प्यासी नदी ने पिया
जी भर पानी
नरेन्द्र श्रीवास्तव
अपनापन
मुस्कान की छुअन
छलके मन
-सुशील शर्मा
बड़े मित्र का
कर रहे स्वागत
भोर के तारे
विष्णुप्रिय पाठक
मिले ही नहीं
बिछड़े सौ सौ बार
कैसा ये प्यार
मंजूषा मन
धीरे बोलिए
है फूल अभी सोया
धूप उतार
तुकाराम खिल्लारे
नैनों में नमी
बारिशों का मौसम
रोया है कोई
प्रियंका वाजपेयी
कुछ लमहे
दफ़न तो होते हैं
मरते नहीं
प्रियंका वाजपेयी
गुरु वरण
तेजोमय संस्कार
आत्म प्रदीप्त
-सुशील शर्मा
अपना गुरु
बैठा है अंतर में
सुनो तो सही
-जितेन्द्र वर्मा
गुरु पारस
छू लेता जिसको भी
करे कुंदन
-राजीव गोयल
गुरु पूर्णिमा
मधुशाला में बैठे
शिष्य आचार्य
-विष्णुप्रिय पाठक
गिनू कितने
यादों के ये मोती
माला दुःख की
तुकाराम खिल्लारे
बरसा पानी
कागज़ की नाव पे
स्वप्न सवार
नरेन्द्र श्रीवास्तव
नमी हवा में
आँखें भी हुईं नम
पानी न आया
-जितेन्द्र वर्मा
मकड़ जाल
गिरफ्त में मच्छर
बना आहार
-विष्णुप्रिय पाठक
तैरते गीत
यादों के समुद्र
लय तुम्हारी
-जित्रेंद्र वर्मा
पत्तों ने थामी
बरसात की बूँदें
नीड़ बचाने
-नरेन्द्र श्रीवास्तव
सहा न जाए
खामोशियों का शोर
कुछ तो बोल
-राजीव गोयल
डरी रोशनी
घने बादल देख
छिपने लगी
-डा. रंजना वर्मा
उन्हें नमन
सीमा ओर चले
जो बाँध कफ़न
-सूर्य नारायण गुप्त
मन का सूप
फटके जीवन की
छाँव और धूप
-सूर्य नारायण गुप्त
सखियाँ साथ
मेहदी लगे हाथ
ऋतु सावन
डा. रंजना वर्मा
जुगलबंदी
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मिट्टी में सोया
बूंदों ने सहलाया
जगा अंकुर
डा. रंजना वर्मा
जगा अंकुर
नन्हा पौधा बनके
बूंदों ने सींचा
-जितेन्द्र वर्मा
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शब्दों में ढली
भावों की अभिव्यक्ति
रचना बनी
-शिव डोयले
बजे नगाड़े
मेघों की पालकी में
वर्षा पधारे
-राजीव गोयल
डरी रोशनी
घने बादल देख
छिपने लगी
-डा. रंजना वर्मा
श्वास संगीत
सुर लय ताल में
बजाए गीत
-निगम 'राज़'
पावस पर्व
मेघ समूह करे
जल तर्पण
-नरेन्द्र श्रीवास्तव
वर्षा जो आई
धरा की तबीयत \
हरी हो गई
-नरेन्द्र शीवास्तव
मन का मोर
बरखा में नाचता
धूप में खडा
-तुकाराम खिल्लारे
सारे के सारे
संबंधों के पाये हैं
रिश्ते हमारे
-राजीव निगम 'राज़'
नारी की व्यथा
द्रोपदी मीरा राधा
सीता की कथा
-सूर्य नारायण गुप्त
सावन गीत
वर्षा की बूंदों संग
युगलबंदी
-नरेन्द्र श्रीवास्तव
सावन स्वप्न
कागज़ की नाव से
सैर सपाटा
-नरेन्द्र श्रीवास्तव
कहे न कोई
ब्रह्म तत्व का ज्ञान
गूंगे का स्वाद
-कैलाश कल्ला
बूँदें पाज़ेब
धरती को छूते ही
छम से बजीं
-नरेंद्र श्रीवास्तव
मेघ ने भेजी
सावन सगुन की
बूंदों की बिंदी
-नरेन्द्र श्रीवास्तव
यादों के धागे
बन रहे अतीत
वर्तमान में
-राजीव गोयल
रास्ते बनाके
चलते रहें हम
अपनी राह
-राजीव निगम 'राज़'
राह निहारें
मृदुल भावनाएं
मन के द्वार
-डा. रंजना वर्मा
dead end ?
look, and go back
take another road
Jitendra varma
आई किरण
संवार कर केश
चल दी निशा
--राजीव गोयल
फूलों की झोली
बिखर जाने पर
बने रंगोली
-वलजीत सिंह
बादल काले
नील गगन पर
काजल डाले
-वलजीत सिंह
जुगल बंदी
-------------
अब की बार
सावन विकराल
जल का ज्वार
-सूर्य करण सोनी
जल उफान
हाहाकारी अवस्था
जीव विनाश
-राजीव निगम 'राज़'
-----------------------
टूटी जो डोर
उड़ चला विहंग
फैलाए डैना
-प्रियंका वाजपेयी
स्वप्न सुन्दर
विचार रहा मन
सब्ज़ बाग़ में
-प्रियंका वाजपेयी
सिंदूरी शाम
गोधूल भरी वेला
लौटता धाम
-सुशील शर्मा
कोमा में गया
फिर जागा ही नहीं
मेरा ज़मीर
-आर पी शुक्ल
(जितेन्द्र वर्मा के सौजन्य से )
पता पूछती
अमावस की रात
चाँद खोजती
-नरेन्द्र श्रीवास्तव
बरछी भाले
आत्मरक्षा की चाह
मौत हवाले
बलजीत सिंह
झूठ फरेब
इन सबका मन्त्र
भर लो जेब
-बलजीत सिंह
बरसे नहीं
हनक दिखा गए
काले बादल
दिनेश चन्द्र पाण्डेय
बारिश आई
ठहरा हुआ पानी
ले अंगडाई
बलजीत सिंह
अब्रे बहार
इतना तो बरस
जा न पाए वो
-डा. रंजना वर्मा
लिख गीत में
गुलाब की सुगंध
कांटे का दर्द
-शिव डोयले
बहती हवा
बहका ले जाती है
मेरे मन को
-अमन चाँदपुरी
लगन श्रम हौसले को नमन 🙏💐
जवाब देंहटाएंUttam chunav
जवाब देंहटाएंGuruvar sadar Pranam
श्रेष्ठ हाइकुओं से अधिक श्रेष्ठ आपका ये कार्य है ...बधाई व शुभकामनाओं सहित मेरे कुछ हाइकु के चुनाव हेतु हार्दिक आभार व धन्यवाद, सादर ..... निगम'राज़ '
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