गुरुवार, 30 नवंबर 2017

श्रेष्ठ हिन्दी हाइकु - नवम्बर माह

नवम्बर माह के हाइकु

चल रही है
शरद आगमन
नशीली हवा
       *
नर्म हो रही
चिलचिलाती धूप
बर्फीली हवा
        -प्रियंका वाजपेयी
मिट्टी जो खुदी
परतों में दफ़न
महल मिला
       *
यादें अपनी
दफ्न मन में हुईं
ढूँढें न मिलीं
        -प्रियंका वाजपेयी 
अपना गाँव
झोंपड़ी झोंपड़ी को
देता सहारा
        *
गाँव हमारा
खंडहर हो गया
प्यार खडा है
        -विष्णु प्रिय पाठक
लूट ले गया
मेरा उम्र खज़ाना
वक्त लुटेरा
        -राजीव गोयल
डूबता चाँद
झील के उस पार
देवदास सा
       -दिनेश चन्द्र पाण्डेय
उठने लगी
आँगन में दीवार
खामोश हम
       *
दीवार पार
भाई का परिवार
इधर हम
      -डा. रंजना वर्मा
धरा की पीड़ा
हिल गया पर्वत
बेफिक्र हम
       -विष्णु प्रिय पाठक
जीवन चाक
सुख दुःख की माटी
गढ़े आकृति
        -शिव डोयले
बदले चोले
रूप बदल गए
स्वरूप वही
       -राजीव गोयल
ऋतु बदली
भूला अपना शूल
केक्टस फूल
       -विष्णु प्रिय पाठक
बरछी भाले
आत्मरक्षा की चाह
मौत हवाले
       -बलजीत सिंह
सांध्य संगीत
गायों के गले बंधीं
घंटिया बजी
        -सुशील शर्मा
रास्ते बंजारे
घूमते यहाँ वहां
रुकें न कहीं
       -भावना सक्सेना
कैसा ज़माना
अपना ही खज़ाना
लूटें चाभियाँ
        -सूर्य नारायण 'सूर्य'
चलते रहे
छालों से भरे पाँव
राह न रुकी
        डा. रंजना वर्मा
नभ के तारे
तोड़ लाऊँगा सारे
देने सौगात
        -सूर्य किरण सोनी
छलक पड़ा
तट पर आते ही
नाव का दर्द
       -शिव डोयले
संजो के रखे
डायरी गुल्लक में
यादों के सिक्के
       -राजीव गोयल
तैरते रहे
झील सी अंखियों में
गुज़रे लम्हे
        -शिव डोयले
भूखा बालक
माँ गई है करने
रेसिपी क्लास
      -अभिषेक जैन
फूलों की झोली
बिखर जाने पर
बने रंगोली
      -वलजीत सिंह
प्रत्येक पौधा
पर्यावरण हेतु
बना है योद्धा
        -वलजीत सिंह
उड़ने लगे
शोहरत पाकर
खोखले लोग
      सूर्य कारन सोनी
ठंडी सुबह
दांतों के ताल पर
थिरके देह
       -राजीव गोयल
बाल दिवस
सफ़ेद हाथी पर
बच्चे सवार
       -विष्णु प्रिय पाठक
घनी नींद में
दादा के कंधे सटा
बाल दिवस
      -विभा श्रीवास्तव
रिहा हो गया
ठण्ड की पैरवी से
कैदी कम्बल
      -अभिषेकजैन
पर्वत बने
एकता में पत्थर
अटूट खड़े
       -सुशील शर्मा
मचाएं शोर
रात की खामोशी में
तुम्हारी यादें
        -राजीव गोयल
ध्रुम कोहरा
बच्चे, पिल्ले बिल्लियाँ
कुचले गए
       -विभा श्रीवास्तव
अटकी पड़ी
वायु प्रदूषण में
सांस की साँसें
         -अभिषेक जैन
सर्द लहर
निकलती रातों में
करे शिकार
       -राजीव गोयल
दर्पण कहे
स्वागत में तो रहो
कुछ न गहो
        -सूर्य नारायण गुप्त 'सूर्य'
सर्द मौसम
गर्म चिता की राख
सो रहा श्वान
       -राजीव गोयल
मुस्काता  पौधा
लगता है बच्चों सा
आँगन मेरे
       सुशील शर्मा
वृद्ध आश्रम
वृद्धा के सिरहाने
बेटे की फोटो
       -अभिषेक जैन
मेरा शहर
हाथ में लिए आरी
छाँव तलाशे
       सुशील शर्मा
मेंहदी लिखे
तेरी हथेली पर
मेरा ही नाम
       -शिव डोयले
एक थी नदी
आने वाली पीढियां
सुने कहानी
        -सुशील शर्मा
दर्द का गीत
नयनों से बहता
भीगा दामन
        -डा. रंजना वर्मा
ठिठुरी हवा
भीगा पातों का गात
शीशिर रात
        -दिनेश चन्द्र पाण्डेय
चांदनी रात
सितारों के आँगन
सजे बरात
         -वलजीत  सिंह
मन बगिया
कलरव करते
यादों के पंछी
        -सुरंगमा यादव
याद में तेरी
मुस्काई मैं, पगली
कहता जग
       -सुरंगमा यादव
मुनिया रूठी
घोड़े बने दादा जी
दुम हिलाते
         -विष्णु प्रिय पाठक
दब न सकी
तोड़ शिला का दर्प
मुस्काई दूब
         -दिनेश चन्द्र पाण्डेय
शीत लहर
देती रही दस्तक
द्वार न खुले
        -नरेन्द्र श्रीवास्तव
पल रहे हैं
जाने कितने गम
हंसी के नीचे
        -राजीव गोयल
हुए अलग
पेड़ों से जब पत्ते
कुचले गए
       -राजीव गोयल
उदय-अस्त
सूर्य रहे समान
महापुरुष
       -सुरंगमा यादव
पानी बरसा
नथुनों में समाई
माटी की गंध
        -डा. रंजना वर्मा
बेटा बीमार
वृद्धाश्रम में पिता
है परेशान
       -राजीव गोयल
बाहर नहीं
भीतर ह्रदय में
बैठे हैं हम
        -सुशील शर्मा
फटी रजाई
छेदों भरा कम्बल
ठण्ड बैरन
       -डा. रंजना वर्मा
कपडे ढेर
किसी के पास, कोई
ठण्ड से ढेर
        -सुरंगमा यादव
देता है बलि
प्रभु की खुशी हेतु
मूर्ख मानव
          -सूर्य करण सोनी
ओस मानिंद
माथे पर झलके
श्रम का स्वेद
        -सुशील शर्मा
दादा की सांस
बारह पे कांपती
घड़ी की सुई \
        -विष्णु प्रिय पाठक
नई सुबह
पाई फिर हमने
करें सार्थक
      सुरंगमा यादव
चले ज़िंदगी
हथेली पर बनी
पगडंडी पे
       -राजीव गोयल
दिन की धूप
जाड़े ने खोल दिए
नींद के कोष
         -दिनेश चन्द्र पाण्डेय
डर को भूत
मन में घुसो जैसे
हवा में जाड़ो
         (बुन्देली हाइकु) - सुशील शर्मा
रोता सावन
तर-बतर होता
मेरा दामन
       -निगम 'राज़'
टूटा बंधन
साथ निभाता जाए
अकेलापन
       -निगम 'राज़'
ढूँढ़ ही लाया
मन फिर जीने का
कोई बहाना
       -सुरंगमा यादव
चाहे जिसको
उसी पर झल्लाए
निष्ठुर मन
        -सूर्य करण  सोनी
थिरकी उषा
अमिया डार, कभी
दूब के सिर
        -दिनेश चन्द्र पाण्डेय
मन हो गया
जहाज़ का पंछी
तुम से मिल
       -सुरंगमा यादव
सुबह शाम
दुनिया का व्यापार
दो दूनी चार
      -दिनेश चन्द्र पाण्डेय

जुगल बंदी

जीवन खेत
लहराते रिश्ते
स्नेह का पानी
     सुशील शर्मा
जीवन खेत
उगी प्यार फसल
उपजे रिश्ते
      -राजीव गोयल

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