श्रेष्ठ हिंदी हाइकु दिसंबर २०१९
प्रत्येक पौधा
पर्यावरण हेतु
बना है योद्धा
बलजीत सिंह
युग बदला
देह मात्र ही रही
आज भी नारी
-सुरंगमा यादव
जागा संसार
गंध बाँट सो गया
हरसिंगार
-शिव जी श्रीवास्तव
उम्र पोनी से
बुने मृत्यु चादर
काल पुरुष
-शिव जी श्रीवास्तव
नियत अच्छी
मेहनत की रोटी
लगती अच्छी
-बलजीत सिंह
मीठे कड़वे
सुर में है बजती
मन की वीणा
-प्रियंका ...अद्वैता
नभ ने खोला
अपना वातायन
झांका सूरज
-सुरंगमा यादव्
छलक उठे
देख जलती धरा
मेघों के नयन
-राजीव गोयल
विकास रथ
वन्य जीवन पथ
रौंद के चला
-सुरंगमा यादव
शीत की धूप
मुंडेर से उतरी
झाँक के भागी
-सुरंगमा यादव
बढ़े जो पैसे
घटता चला गया
जीवन मूल्य
-अभिषेक जैन
मौसम टाँके
हवा के आँचल पे
शीत के बूटे
-आभा खरे
सर्द हवाएं
मंजीरा बनकर
दांत बजाएं
-सुरंगमा यादव
फूले किवाड़े
गरमी का ताव देख
एंठना भूले
-सुरंगमा यादव
ऊंची कुर्सियां
सुनने लगी ऊंचा
मची तबाही
-सुरंगमा यादव
सर्दी डायन
निकली है रात में
ढूँढे शिकार
-राजीव गोयल
दीपक -बाती
प्रकाश गीत गाते
जब मिलते
-सुरंगमा यादव
सर्दी की शाम
मफलर घूमते
गप्पें हाँकते
-रमेश सोनी
अलाव तापे
पूस रातों की यादें
कहानी किस्से
-रमेश कुमार सोनी
प्यार है तो
कभी तुम आओ न
मेरे दिल में
-निगम राज
सर्दी की धूप
मुख्य अतिथि जैसे
थोड़ा ठहरे
-सुरंगमा यादव
जग जीवन
हम सब कृषक
बोते-काटते
-सुरंगमा यादव
लगाने न दे
गरीबों को सरदी
भूख की आग
-राजीव गोयल
घोसले में भी
असुरक्खित चिडी
कैसा समय
-सुरंगमा यादव
ठिठुरा दिन
पाला ग्रसित रात
झुलसे पात
-सुरंगमा यादव
ताके आकाश
कितना वैभव है
धरा के पास
-सुरंगमा यादव
रंगीन यादें
बचपन की मेरी
कंचों में कैद
-राजीव गोयल
-----------------------------
प्रत्येक पौधा
पर्यावरण हेतु
बना है योद्धा
बलजीत सिंह
युग बदला
देह मात्र ही रही
आज भी नारी
-सुरंगमा यादव
जागा संसार
गंध बाँट सो गया
हरसिंगार
-शिव जी श्रीवास्तव
उम्र पोनी से
बुने मृत्यु चादर
काल पुरुष
-शिव जी श्रीवास्तव
नियत अच्छी
मेहनत की रोटी
लगती अच्छी
-बलजीत सिंह
मीठे कड़वे
सुर में है बजती
मन की वीणा
-प्रियंका ...अद्वैता
नभ ने खोला
अपना वातायन
झांका सूरज
-सुरंगमा यादव्
छलक उठे
देख जलती धरा
मेघों के नयन
-राजीव गोयल
विकास रथ
वन्य जीवन पथ
रौंद के चला
-सुरंगमा यादव
शीत की धूप
मुंडेर से उतरी
झाँक के भागी
-सुरंगमा यादव
बढ़े जो पैसे
घटता चला गया
जीवन मूल्य
-अभिषेक जैन
मौसम टाँके
हवा के आँचल पे
शीत के बूटे
-आभा खरे
सर्द हवाएं
मंजीरा बनकर
दांत बजाएं
-सुरंगमा यादव
फूले किवाड़े
गरमी का ताव देख
एंठना भूले
-सुरंगमा यादव
ऊंची कुर्सियां
सुनने लगी ऊंचा
मची तबाही
-सुरंगमा यादव
सर्दी डायन
निकली है रात में
ढूँढे शिकार
-राजीव गोयल
दीपक -बाती
प्रकाश गीत गाते
जब मिलते
-सुरंगमा यादव
सर्दी की शाम
मफलर घूमते
गप्पें हाँकते
-रमेश सोनी
अलाव तापे
पूस रातों की यादें
कहानी किस्से
-रमेश कुमार सोनी
प्यार है तो
कभी तुम आओ न
मेरे दिल में
-निगम राज
सर्दी की धूप
मुख्य अतिथि जैसे
थोड़ा ठहरे
-सुरंगमा यादव
जग जीवन
हम सब कृषक
बोते-काटते
-सुरंगमा यादव
लगाने न दे
गरीबों को सरदी
भूख की आग
-राजीव गोयल
घोसले में भी
असुरक्खित चिडी
कैसा समय
-सुरंगमा यादव
ठिठुरा दिन
पाला ग्रसित रात
झुलसे पात
-सुरंगमा यादव
ताके आकाश
कितना वैभव है
धरा के पास
-सुरंगमा यादव
रंगीन यादें
बचपन की मेरी
कंचों में कैद
-राजीव गोयल
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नमन आपके अथक परिश्रम को सुरेंद्र जी
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