श्रेष्ठ हिंदी हाइकु - अगस्त माह के हाइकु
१ ८ १६
बच्चों का घर
दीवारों पर उभरे
बच्चों के ख़्वाब
-राजीव गोयल
दीप जो जला
जान बचाने तम
पैरों पे गिरा
-राजीव गोयल
मेघों के बीच
ढूँढे महिला चाँद
सावन तीज
-कैलाश कल्ला
२ ८ १६
फटे बादल
वाहन मनु हाल
तैरते तृण
-विभा श्रीवास्तव
मेघ से केश
उड़ते व ढंकते
पूनों का चाँद
-कैलाश कल्ला
दिखाए ज़ख्म
खून के आंसू रोई
मेरी कलम
-राजीव गोयल
७ ८ १६ मित्रता दिवस
नकार दिया
देने झूठ में साथ
सच्चे मित्र ने
-अभिषेक जैन
मित्र जो मिला
क्लिष्ट हुआ आसान
मिला जीवन
-सुवना
(परिवर्धित )
८ ८ १६
खो जाता हूँ मैं
एक भूल भुलैयां
शब्दों की भीड़
-राजीव गोयल
९ ८ १६
पूछते रहे
दीवाने, दीवानों से
होश का पता
-प्रियंका वाजपेयी
खोजते रहे
ठिकाने,उजालों के
डूबते मन
-प्रियंका वाजपेयी
१० ८ १६
जुगलबंदी -
-----
तारों के साथ
चाँद सोया नभ पे
ओढ़ के रात
-राजीव गोयल
-----
नीली चादर
तारों जडी बिछाके
सोई है रात
-जितेंद्र वर्मा
-------
ठंडी अंगीठी
भूख की आग पर
पकता जुर्म
-राजीव गोयल
१२ ८ १६
वक्त का मारा
कहे सूना मकान
मैं भी घर था
-राजीव् गोयल
१३ ८ १६
जुगल बंदी --
भीगी हथेली
पसीना तुम्हारा था
सूखता नहीं
-जितेन्द्र वर्मा
कंधे पे तेरे
है अभी तक नमी
आंसू की तेरे
-राजीव गोयल
-------
मेघों की मर्जी
रिमझिम बारिश
छान के भेजी
-आर के भारद्वाज
तारे सितारे
अम्बर में बिखरे
ज्यों पापकॉर्न
- राजीव गोयल
१४ ८ १६
वो कैसे आए
साफ़ नहीं हुजरा
तेरे दिल का
-प्रियंका वाजपेयी
१५ ८ १६
झूले लटके
पेड़ों की डालों पर
डालों के बाले
आर क भारद्वाज
दो सुखन -
पंछी न उड़े
लोग गर्मी से तंग
पंखों के बिना
-आर के भारद्वाज
१६ ८ १६
लाई बहना
रेशम में लपेट
प्यार अपना
-राजीव गोयल
सूनी न रहे
किसी की कलाई
राखी है भाई
-दिनेश चन्द्र पाण्डेय
लाई बहना
अक्षत वरदान
राखी गहना
-विभा श्रीवास्तव
17 8 16
जुगल बंदी --
नहीं तैरतीं
कागज़ की नावें
दूर तलक (संवर्धित)
-सुवना
किनारा कभी
पाते नहीं ये ख़्वाब
कागजी नाव
-राजीव गोयल
कागज़ नाव्
बिना लक्ष्य का काम
एक समान
-सुवना
पंख लगाती
बच्चों की खुशियों को
कागजी नाव
-आर के भारद्वाज
---------
१८ ८ १६
हाँ मेरे भैया
सुख दुःख बाँटते
आशीष देते
- सुवना
इन्द्रधनुष
मेघों ने बंधवाई
धरा से राखी
-दिनेश चन्द्र पाण्डेय
श्रावणी पूनों
नेह कथा बाँटते
रेशमी धागे
-डा.शिवजी श्रीवास्तव
१९ ८ १६
वर्षा सावन
हरित स्मृति-वन
राखी ने किए
-दिनेश चन्द्र पांडे
२१ ८ १६
सालता भी है
वक्त दिल का दर्द
पालता भी है
-राजीव निगम राज
खाली घोंसले
रह गईं हैं बस
यादें ही यादें
-राजीव गोयल
नहीं संभव
गगन को छू लेना
बौने हैं सब
-तुकाराम खिल्लारे
२२ ८ १६
लगाए छाते
बारिश से बचते
कुकुरमुत्ते
-राजीव गोयल
२४ ८ १६
फुद फुदक
गौरैया ओ बहना
आ जा अंगना
-वी पी पाठक
पेड़ों में झूले
मेढक गाए गीत
पीया न आए
-वी पी पाठक
बीत ही जाती
कितनी ही अंधेरी
गहरी रात--
प्रीत की मिट्टी
गीली अबतक है
आँखों के साथ
-प्रियंका वाजपेयी
२५ ८ १६
बेसुध नाची
वंशी का स्वर सुन
कान्हा की गोपी
-आर के भारद्वाज
ब्रज पावन
जन्में नन्द किशोर
बजते ढोल
वी पी पाठक
२६ ८ १६
सांकल चुप
दरवाज़ा बंद है
है इंतज़ार
-जितेन्द्र वर्मा
२७ ८ १६
उड़ता पंछी
आकाश विवर में
चित्त भू पर
-तुकाराम खिल्लारे
किनारा कभी
पाए नहीं ये ख़्वाब
कागजी नाव
राजीव गोयल
सेल्फी में कैद
अपनों की मुस्कान
मेरे कन्धों पे
-विभा श्रीवास्तव
29 8 16
मन चातक
चुन चुन कर पी
तत्व सलिल
-प्रियंका वाजपेयी
कांटे ने कहा
पाँव चुभे कांटे से
आ मैं निकालूं
-आर के भारद्वाज
उपवन में
महकते फूल
इत्र की वर्षा
-आर के भारद्वाज
पूर्व दिशा
सजी लाल जोड़े में
सूरज संग
-राजीव गोयल
३० ८ १६
वैभवशाली
अब हैं अवशेष
रंग महल
-प्रियंका वाजपेयी
भोग न पाए
दामन पड़े सुख
अतृप्त जन
-प्रियंका वाजपेयी
जीवन हाला
बनाके मधुशाला
बस पी डाला
-राजीव निगम राज
भर रखा है
आँख की सीपियों में
मैंने समुद्र
राजीव गोयल
कतरा तो नहीं
आँखों में जो समाया
समंदर था
-प्रियंका वाजपेयी
थमा न तूफां
बह गए थे आंसू
याद जो आई
-जितेन्द्र वर्मा
बूंद उछली
बहुत ऊंची उठी.
पुन:, नदी में
-दिनेश चन्द्र पाण्डेय
डालियाँ रूठीं
सूखी पत्ती रो पडी
विदा की घड़ी
-प्रदीप कुमार डास 'दीपक'
प्यासी ही रहे
समुद्र में सीप
स्वाती की चाह
-राजीव गोयल
--------------------------------------------
------------------------------------समाप्त
१ ८ १६
बच्चों का घर
दीवारों पर उभरे
बच्चों के ख़्वाब
-राजीव गोयल
दीप जो जला
जान बचाने तम
पैरों पे गिरा
-राजीव गोयल
मेघों के बीच
ढूँढे महिला चाँद
सावन तीज
-कैलाश कल्ला
२ ८ १६
फटे बादल
वाहन मनु हाल
तैरते तृण
-विभा श्रीवास्तव
मेघ से केश
उड़ते व ढंकते
पूनों का चाँद
-कैलाश कल्ला
दिखाए ज़ख्म
खून के आंसू रोई
मेरी कलम
-राजीव गोयल
७ ८ १६ मित्रता दिवस
नकार दिया
देने झूठ में साथ
सच्चे मित्र ने
-अभिषेक जैन
मित्र जो मिला
क्लिष्ट हुआ आसान
मिला जीवन
-सुवना
(परिवर्धित )
८ ८ १६
खो जाता हूँ मैं
एक भूल भुलैयां
शब्दों की भीड़
-राजीव गोयल
९ ८ १६
पूछते रहे
दीवाने, दीवानों से
होश का पता
-प्रियंका वाजपेयी
खोजते रहे
ठिकाने,उजालों के
डूबते मन
-प्रियंका वाजपेयी
१० ८ १६
जुगलबंदी -
-----
तारों के साथ
चाँद सोया नभ पे
ओढ़ के रात
-राजीव गोयल
-----
नीली चादर
तारों जडी बिछाके
सोई है रात
-जितेंद्र वर्मा
-------
ठंडी अंगीठी
भूख की आग पर
पकता जुर्म
-राजीव गोयल
१२ ८ १६
वक्त का मारा
कहे सूना मकान
मैं भी घर था
-राजीव् गोयल
१३ ८ १६
जुगल बंदी --
भीगी हथेली
पसीना तुम्हारा था
सूखता नहीं
-जितेन्द्र वर्मा
कंधे पे तेरे
है अभी तक नमी
आंसू की तेरे
-राजीव गोयल
-------
मेघों की मर्जी
रिमझिम बारिश
छान के भेजी
-आर के भारद्वाज
तारे सितारे
अम्बर में बिखरे
ज्यों पापकॉर्न
- राजीव गोयल
१४ ८ १६
वो कैसे आए
साफ़ नहीं हुजरा
तेरे दिल का
-प्रियंका वाजपेयी
१५ ८ १६
झूले लटके
पेड़ों की डालों पर
डालों के बाले
आर क भारद्वाज
दो सुखन -
पंछी न उड़े
लोग गर्मी से तंग
पंखों के बिना
-आर के भारद्वाज
१६ ८ १६
लाई बहना
रेशम में लपेट
प्यार अपना
-राजीव गोयल
सूनी न रहे
किसी की कलाई
राखी है भाई
-दिनेश चन्द्र पाण्डेय
लाई बहना
अक्षत वरदान
राखी गहना
-विभा श्रीवास्तव
17 8 16
जुगल बंदी --
नहीं तैरतीं
कागज़ की नावें
दूर तलक (संवर्धित)
-सुवना
किनारा कभी
पाते नहीं ये ख़्वाब
कागजी नाव
-राजीव गोयल
कागज़ नाव्
बिना लक्ष्य का काम
एक समान
-सुवना
पंख लगाती
बच्चों की खुशियों को
कागजी नाव
-आर के भारद्वाज
---------
१८ ८ १६
हाँ मेरे भैया
सुख दुःख बाँटते
आशीष देते
- सुवना
इन्द्रधनुष
मेघों ने बंधवाई
धरा से राखी
-दिनेश चन्द्र पाण्डेय
श्रावणी पूनों
नेह कथा बाँटते
रेशमी धागे
-डा.शिवजी श्रीवास्तव
१९ ८ १६
वर्षा सावन
हरित स्मृति-वन
राखी ने किए
-दिनेश चन्द्र पांडे
२१ ८ १६
सालता भी है
वक्त दिल का दर्द
पालता भी है
-राजीव निगम राज
खाली घोंसले
रह गईं हैं बस
यादें ही यादें
-राजीव गोयल
नहीं संभव
गगन को छू लेना
बौने हैं सब
-तुकाराम खिल्लारे
२२ ८ १६
लगाए छाते
बारिश से बचते
कुकुरमुत्ते
-राजीव गोयल
२४ ८ १६
फुद फुदक
गौरैया ओ बहना
आ जा अंगना
-वी पी पाठक
पेड़ों में झूले
मेढक गाए गीत
पीया न आए
-वी पी पाठक
बीत ही जाती
कितनी ही अंधेरी
गहरी रात--
प्रीत की मिट्टी
गीली अबतक है
आँखों के साथ
-प्रियंका वाजपेयी
२५ ८ १६
बेसुध नाची
वंशी का स्वर सुन
कान्हा की गोपी
-आर के भारद्वाज
ब्रज पावन
जन्में नन्द किशोर
बजते ढोल
वी पी पाठक
२६ ८ १६
सांकल चुप
दरवाज़ा बंद है
है इंतज़ार
-जितेन्द्र वर्मा
२७ ८ १६
उड़ता पंछी
आकाश विवर में
चित्त भू पर
-तुकाराम खिल्लारे
किनारा कभी
पाए नहीं ये ख़्वाब
कागजी नाव
राजीव गोयल
सेल्फी में कैद
अपनों की मुस्कान
मेरे कन्धों पे
-विभा श्रीवास्तव
29 8 16
मन चातक
चुन चुन कर पी
तत्व सलिल
-प्रियंका वाजपेयी
कांटे ने कहा
पाँव चुभे कांटे से
आ मैं निकालूं
-आर के भारद्वाज
उपवन में
महकते फूल
इत्र की वर्षा
-आर के भारद्वाज
पूर्व दिशा
सजी लाल जोड़े में
सूरज संग
-राजीव गोयल
३० ८ १६
वैभवशाली
अब हैं अवशेष
रंग महल
-प्रियंका वाजपेयी
भोग न पाए
दामन पड़े सुख
अतृप्त जन
-प्रियंका वाजपेयी
जीवन हाला
बनाके मधुशाला
बस पी डाला
-राजीव निगम राज
भर रखा है
आँख की सीपियों में
मैंने समुद्र
राजीव गोयल
कतरा तो नहीं
आँखों में जो समाया
समंदर था
-प्रियंका वाजपेयी
थमा न तूफां
बह गए थे आंसू
याद जो आई
-जितेन्द्र वर्मा
बूंद उछली
बहुत ऊंची उठी.
पुन:, नदी में
-दिनेश चन्द्र पाण्डेय
डालियाँ रूठीं
सूखी पत्ती रो पडी
विदा की घड़ी
-प्रदीप कुमार डास 'दीपक'
प्यासी ही रहे
समुद्र में सीप
स्वाती की चाह
-राजीव गोयल
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------------------------------------समाप्त
ब्लॉग पर स्थान पाते मोहर लग जाता है आपके आशीष का
जवाब देंहटाएंआभार संग बहुत बहुत धन्यवाद आपका
मान्यवर, मेरी रचनाओं को ब्लॉग में प्रकाशित कर मान देने के लिए सादर आभार।💐
जवाब देंहटाएंआभार आपका आदरणीय डॉ.वर्मा साहब !
जवाब देंहटाएंआभार आपका आदरणीय डॉ.वर्मा साहब !
जवाब देंहटाएं