शनिवार, 30 सितंबर 2017

श्रेष्ठ हिन्दी हाइकु - सितम्बर माह

श्रेष्ठ हिन्दी हाइकु - सितम्बर माह

मन दीवार
बीते सालों की खूँटी
पे यादें टंगी
      -राजीव गोयल
सत्य का पाँव
भटक रहा आके
झूठ के गाँव
       -सूर्य नारायण गुप्त 'सूर्य'
सन्न था कागा
कूकी जो घोंसले में
काली काकली
       -दिनेश चन्द्र पाण्डेय
बेजान बांस
स्पर्श कन्हाई का पा
जीवंत हुआ
       -राजीव गोयल
क्षितिज भाल
संध्या लगाती टीका
सूर्य सा गोल
       -शिव डोयले
शिक्षक देता
खुद को तपाकर
ज्ञान प्रकाश
       -डा. जगदीश व्योम
जागो इंसान
शिक्षा का आभूषण
बढाए मान
       -निगम 'राज़'
शिष्य आईना
शिक्षक का व्यक्तित्व
प्रतिबिंबित
       -सुशील शर्मा
मेहर गुरु की
बरसे बारिश सी
मिले संतुष्टि
       -डा. पूर्णिमा राय
अंधियारे से
गुरु करते सचेत
दें दिव्य ज्ञान
      डा. पूर्णिमा राय
गुरु जिसने
मिलाया ईश्वर से
उसे नमन
      -डा. रंजना वर्मा
ग़म गुप्त हो
और खुशी लुप्त हो
कौन तृप्त हो
       -सुशील शर्मा
शापित मन
इधर से उधर
भटके तन
       -राजीव 'राज़'
वर्षा थमी तो
नभ खोले खिड़की
सूरज झांके
       -नरेन्द्र श्रीवास्तव
बढे कदम
अँधेरे मार्ग पर
मिले न छोर
       -सूर्य किरण सोनी
लम्बी सी जीभ
सड़कें चाट गईं
कई जंगल
       -दिनेश चन्द्र पाण्डेय
बूढा मकान
दीवारों से झांकते
नीम पीपल
       -दिनेश चन्द्र पाण्डेय
अंतर्मन में
गहरे उतरना
ध्यान करना
       -डा.रंजना वर्मा
गाते हैं पेड़
पाखियों के परों से
छूते आकाश
      -दिनेश चन्द्र पाण्डेय
रौद्र लहर
आकर तट पर
हो जाती शांत
      -सूर्य करण सोनी
रात ने पिया
दिन का कोलाहल
हुई बेसुध
       -नरेन्द्र श्रीवास्तव
भोर हुई तो
रात जाकर छुपी
दिया के तले
        -नरेन्द्र श्रीवास्तव
शब्दों के रत्न
सजते पन्नों पर
बनाती नज़्म
      -राजीव गोयल
पा गए ठांव
पर्वतों की गोद में
पहाडी गाँव
      -सूर्य नारायण 'सूर्य'
शान है हिन्दी
भारत की जुबान
हिन्दी महान
       -भीम प्रसाद प्रजापति
शिव मस्तक
शोभित अर्ध चन्द्र
शोभा अनूप
       डा. रंजना वर्मा
यमुना तीरे
हंसता हुआ चाँद
कृष्ण का रास
       -डा. रंजना वर्मा
नदी का नीर
धक्के खा किनाकों से
सहता पीर
       -भीम प्रसाद प्रजापति
मुस्काए तुम
बन गई ग़ज़ल
शायर फिजां
       -प्रियंका वाजपेयी
कभी व्योम में
तलाशा वजूद को
कभी खो दिया
      - प्रियंका वाजपेयी
फूलों की घाटी
हरे-भरे पहाड़
धरा की थाती
       -सूर्यनारायण गुप्ता
पेड़ ने ओढी
पत्तियों की छतरी
मिला सुकून
       -नरेन्द्र श्रीवास्तव
ऊंचे पहाड़
डर के भागी नदी
नीचे ही नीचे
      -नरेन्द्र श्रीवास्तव
पड़ी फुहार
प्रसन्न हुआ मन
बूंदों ने छुआ
       -शिव डोयले
मेरा व्यापार
आनंद का बाज़ार
सारा संसार
       निगम 'राज़'
मन उमंग
स्वार्थ की भीड़ देख
हो गया दांग
      सूर्य नारायण गुप्त
फूलों की झोली
बिखर जाने पर
बने रंगोली
       -बलजीत सिंह
कातिल हैं वे
मसीहा भी लगते
मेरे ये दोस्त
       -सुशील शर्मा
पुराने पल
अलमारी में मिले
खतों में बंद
       -राजीव गोयल
बरखा विदा
तितलियाँ हाल पूछें
आके फूलों का
      -नरेन्द्र श्रीवास्तव
कैसा दस्तूर
बेगाने नज़दीक
अपने दूर
       -वलजीत सिंह
घड़ी की सुई
सदा चलायमान
किसकी हुई
       -भीम प्रसाद प्रजापति
खोजा जगत
रावण वध  हेतु
राम न मिला
        -दिनेश चन्द्र पाण्डेय
नारी की व्यथा
द्रोपदी मीरा राधा
सीता की कथा
        -सूर्य नारायण गुप्त 'सूर्य'

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