अप्रेल माह के श्रेष्ठ हाइकु
झील में चाँद
उमस भरी रात
नहाने आया
सुरंगमा यादव
होते ही रात
चली ख़्वाबों के देश
नींद की नाव
राजेश गोयल
अग्निशामक
जठराग्नि बुझाती
थाली की रोटी
विष्णु प्रिय पाठक
नेताजी सोये
लच्छेदार भाषण
रद्दी में रोए
-पुष्प सिन्धी
बात जुबां पे
अधरों तक दूरी
हुई न पूरी
-सुरंगमा यादव
नंगा चेहरा
कैसे नहीं पढ़ता
खुली किताब
-विष्णु प्रिय पाठक
तेरे घर का
ठिकाना मैंने जाना
सुवास आया
-तुकाराम खिल्लारे
चिकनी राहें
फिसल गईं चाहें
अंधेरी रात
-पुष्पा सिंधी
कटे जंगल
बढ़ा जंगलीपन
खोया इंसान
सुरंगमा यादव
चाँद सितारे
आओ न किसी दिन
घर हमारे
सूर्य नारायण गुप्त 'सूर्य'
दंगे -फसाद
किराए के बाराती
खूब ही नाचे
पुष्पा सिन्धी
नीरव वन
धुन मुरलिया की
हर्षाया मन
-शिव डोयले
मेघ कहार
दूर देश से आया
लेकर जल
सुरंगमा यादव
लौटे बादल
करके तांका-झांकी
बिन बरसे
-सुरंगमा यादव
डूब ही गयी
दुःख के सागर में
चाह सुख की
-विष्णु प्रिय पाठक
सफ़ेद पुष्प
नागफनी पौधे पे -
बैठी विधवा
-विष्णु प्रिय पाठक
तपती रेत
नंगे पाँव दौड़ते
स्वप्न अबोध
-पुष्प सिन्धी
पानी का मूल्य
पूछो रेगिस्तान से
क्या है कीमत ?
-राजीव गोयल
दिया सहारा
वक्त पर जिसने
वही हमारा
-सुरंगमा यादव
देखकर भी \
अनदेखा करता
डरा आदमी
-शिव डोयले
इंसान बन
पढ़ लेना बाद में
गीता कुरान
-राजीव गोयल
उड़ा ले गई
दिन के आभूषण
चोरनी शाम
-अभिषेक जैन
चार दीवारी
बने सीलिंग फैन
घूमती नारी
-सुरंगमा यादव
उम्र की राह
कभी सकूँ न मिला
उलझी रही
प्रियंका वाजपेयी
कितने लोग ...
घिरे ही रहे हम
पर, तनहा
-प्रियंका वाजपेयी
चख रही हूँ
थकान के दौर में
श्रम का स्वाद
-प्रियंका वाजपेयी
मांग में भरा
सांवली बदली ने
इन्द्रधनुष
-राजीव गोयल
पानी बरसा
साफ़ हो गया सारा
मन कलुष
- राजीव निगम 'राज़'
स्मृति-प्रदेश
हंसता बचपन
विह्वल मन
-पुष्प सिंधी
हुए अदृश्य
स्वार्थ के कुहासे में
प्रेम के दृश्य
अभिषेक जैन
नीला आकाश
मिलता ऊंचाई को
महत्त्व ख़ास
-बलजीत सिंह
मद में चूर
करते कलंकित
पुरुष क्रूर
सुरंगमा यादव
प्रभात बेला
मंदिर की घंटियाँ
तोड़ें खामोशी
-राजीव गोयल
घट आकार
बदले कुम्भकार
मृत्तिका वही
-सुरंगमा यादव
कैसा दुर्योग?
नाम पर आजादी के
भटके लोग
-सूर्य नारायण गुप्त
सौन्दर्य नष्ट
पाने को नवजात
माँ झेले कष्ट
-सूर्य किरण 'सरोज'
ठूँठ हूँ अभी
सहने को तैयार
आरी का वार
-सुरंगमा यादव
तारों का दल
अँधेरे को दिखाए
अपना बल
सूर्य किरण 'सरोज'
विकृत मन
मासूमों की सुरक्षा
यक्ष प्रश्न सा
-सुशील शर्मा
भूख तबाही
विकास की बातें तो
हवा-हवाई
-सूर्य नारायण गुप्त'सूर्य'
राजा व रैंक
सबके लिए सम
मही का अंक
-सूर्य कारन 'सरोज'
चीर कलेजा
दिखलाती धरती
मेघ पसीजा
-सुरंगमा यादव
जुगलबंदी -
------------
निखरे भाव
पहन लिए जब
शब्दों के वस्त्र
-राजीव गोयल
शब्द सहारे
अर्थ पूरित हुए
भाव हमारे
-राजीव निगम 'राज़'
------------------------
नभ से आई
मुंडेर पर बैठी
नन्ही किरण
-राजीव गोयल
मन आँगन
थिरकते सपने
ऊर्जा भरते
-सुरंगमा यादव
भ्रमित युवा
तलाशता है रंग
अंधियारों में
-सुरंगमा यादव
आँखों में ख़्वाब
लाया था मैं गाँव से
शहर खा गया
-अमन चांदपुरी
बच्चे में खोई
माँ सुने किलकारी
पाँव हैं भारी
-अमन चाँदपुरी
दुखों का मेला
गुज़ार दी ज़िंदगी
रहा अकेला
सूर्य किरण 'सरोज'
अप्प दीपक
जलाते ही आंधियां
हीन परास्त
-सुरंगमा यादव
तेल न बाती
निज दीपक बन
जलो संघाती
-सुरंगमा यादव
अज़ीज़ वक्त
बीता संग हबीब
कज़ा क़रीब
(उर्दू हाइकु)- अमन चाँदपुरी
झील में चाँद
उमस भरी रात
नहाने आया
सुरंगमा यादव
होते ही रात
चली ख़्वाबों के देश
नींद की नाव
राजेश गोयल
अग्निशामक
जठराग्नि बुझाती
थाली की रोटी
विष्णु प्रिय पाठक
नेताजी सोये
लच्छेदार भाषण
रद्दी में रोए
-पुष्प सिन्धी
बात जुबां पे
अधरों तक दूरी
हुई न पूरी
-सुरंगमा यादव
नंगा चेहरा
कैसे नहीं पढ़ता
खुली किताब
-विष्णु प्रिय पाठक
तेरे घर का
ठिकाना मैंने जाना
सुवास आया
-तुकाराम खिल्लारे
चिकनी राहें
फिसल गईं चाहें
अंधेरी रात
-पुष्पा सिंधी
कटे जंगल
बढ़ा जंगलीपन
खोया इंसान
सुरंगमा यादव
चाँद सितारे
आओ न किसी दिन
घर हमारे
सूर्य नारायण गुप्त 'सूर्य'
दंगे -फसाद
किराए के बाराती
खूब ही नाचे
पुष्पा सिन्धी
नीरव वन
धुन मुरलिया की
हर्षाया मन
-शिव डोयले
मेघ कहार
दूर देश से आया
लेकर जल
सुरंगमा यादव
लौटे बादल
करके तांका-झांकी
बिन बरसे
-सुरंगमा यादव
डूब ही गयी
दुःख के सागर में
चाह सुख की
-विष्णु प्रिय पाठक
सफ़ेद पुष्प
नागफनी पौधे पे -
बैठी विधवा
-विष्णु प्रिय पाठक
तपती रेत
नंगे पाँव दौड़ते
स्वप्न अबोध
-पुष्प सिन्धी
पानी का मूल्य
पूछो रेगिस्तान से
क्या है कीमत ?
-राजीव गोयल
दिया सहारा
वक्त पर जिसने
वही हमारा
-सुरंगमा यादव
देखकर भी \
अनदेखा करता
डरा आदमी
-शिव डोयले
इंसान बन
पढ़ लेना बाद में
गीता कुरान
-राजीव गोयल
उड़ा ले गई
दिन के आभूषण
चोरनी शाम
-अभिषेक जैन
चार दीवारी
बने सीलिंग फैन
घूमती नारी
-सुरंगमा यादव
उम्र की राह
कभी सकूँ न मिला
उलझी रही
प्रियंका वाजपेयी
कितने लोग ...
घिरे ही रहे हम
पर, तनहा
-प्रियंका वाजपेयी
चख रही हूँ
थकान के दौर में
श्रम का स्वाद
-प्रियंका वाजपेयी
मांग में भरा
सांवली बदली ने
इन्द्रधनुष
-राजीव गोयल
पानी बरसा
साफ़ हो गया सारा
मन कलुष
- राजीव निगम 'राज़'
स्मृति-प्रदेश
हंसता बचपन
विह्वल मन
-पुष्प सिंधी
हुए अदृश्य
स्वार्थ के कुहासे में
प्रेम के दृश्य
अभिषेक जैन
नीला आकाश
मिलता ऊंचाई को
महत्त्व ख़ास
-बलजीत सिंह
मद में चूर
करते कलंकित
पुरुष क्रूर
सुरंगमा यादव
प्रभात बेला
मंदिर की घंटियाँ
तोड़ें खामोशी
-राजीव गोयल
घट आकार
बदले कुम्भकार
मृत्तिका वही
-सुरंगमा यादव
कैसा दुर्योग?
नाम पर आजादी के
भटके लोग
-सूर्य नारायण गुप्त
सौन्दर्य नष्ट
पाने को नवजात
माँ झेले कष्ट
-सूर्य किरण 'सरोज'
ठूँठ हूँ अभी
सहने को तैयार
आरी का वार
-सुरंगमा यादव
तारों का दल
अँधेरे को दिखाए
अपना बल
सूर्य किरण 'सरोज'
विकृत मन
मासूमों की सुरक्षा
यक्ष प्रश्न सा
-सुशील शर्मा
भूख तबाही
विकास की बातें तो
हवा-हवाई
-सूर्य नारायण गुप्त'सूर्य'
राजा व रैंक
सबके लिए सम
मही का अंक
-सूर्य कारन 'सरोज'
चीर कलेजा
दिखलाती धरती
मेघ पसीजा
-सुरंगमा यादव
जुगलबंदी -
------------
निखरे भाव
पहन लिए जब
शब्दों के वस्त्र
-राजीव गोयल
शब्द सहारे
अर्थ पूरित हुए
भाव हमारे
-राजीव निगम 'राज़'
------------------------
नभ से आई
मुंडेर पर बैठी
नन्ही किरण
-राजीव गोयल
मन आँगन
थिरकते सपने
ऊर्जा भरते
-सुरंगमा यादव
भ्रमित युवा
तलाशता है रंग
अंधियारों में
-सुरंगमा यादव
आँखों में ख़्वाब
लाया था मैं गाँव से
शहर खा गया
-अमन चांदपुरी
बच्चे में खोई
माँ सुने किलकारी
पाँव हैं भारी
-अमन चाँदपुरी
दुखों का मेला
गुज़ार दी ज़िंदगी
रहा अकेला
सूर्य किरण 'सरोज'
अप्प दीपक
जलाते ही आंधियां
हीन परास्त
-सुरंगमा यादव
तेल न बाती
निज दीपक बन
जलो संघाती
-सुरंगमा यादव
अज़ीज़ वक्त
बीता संग हबीब
कज़ा क़रीब
(उर्दू हाइकु)- अमन चाँदपुरी
👍👍👍👍
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