श्रेष्ठ हिन्दी हाइकु - मई माह
तारा भू टूटा
रहा कोई खड़ा
चोटी पे सदा
राजीव गोयल
थका बटोही
आम्र कुंजों ने थामीं
स्वेद की बूँदें
-रमेश कुमार सोनी
चाँद ले आया
सपनों की गठरी
नींद ले उड़ी
-नरेंद्र श्रीवास्तव
चीख न सुनी
अंधे बहरे गूंगे
गुज़रे लोग
-नरेन्द्र श्रीवास्तव
जलते रिश्ते
प्यार की छाँव ढूँढे
बेचैन मन
-सुरंगमा यादव
जीत के जंग
लौटे बस शरीर
ज़िंदगी हारी
-राजीव गोप्यल
प्रेम में पगी
यादों की सोनपत्ती
सूखी भी हरी
-रमेश कुमार सोनी
गंध रोटी की
बज रहे कंगन
किताब बंद
-तुकाराम खिल्लारे
नीयत सच्ची
मेहनत की रोटी
लगती अच्छी
बलजीत सिंह
सूना पिंजरा
पंछी क्षितिज पर
स्मृति-अम्बार \
-पुष्पा सिन्धी
मेरे मन को
बहका के ले जाती
बहकी हवा
-अमन चांदपुरी
धान लगाती
ढेर सारी गोपियाँ
कजरी गातीं
-अमन चाँदपुरी
श्रम से रोज़
करती गिलहरी
दानों की खोज
-सूर्य करण 'सरोज'
चांदनी छाई
रूप की रानी बन
वह लजाई
-सूर्य नारायण गुप्त
कैसी लड़ाई
मुस्कुराए पड़ोसी
झगड़ें भाई
-बलजीत सिंह
मन की रेत
कुरेदी तनिक सी
नमी ही नमी
-सुरंगमा यादव
फागुन मास
धरा पर चांदनी
करे विलास
-बलजीत सिंह
जेठ की धूप
मध्यान्ह में अकेली
क्रोध से जली
-रमेश कुमार सोनी
मरण-शैया
हंसने लगा बूढा
शैशव फोटो
-तुकाराम खिल्लारे
कैसा शीतल
कल कल बहता
गंगा का जल
-इंद्र कुमार दीक्षित
अन्दरखाने
क्या कुछ चलता
राम न जाने
-इंद्र कुमार दीक्षित
धूप में छाँव
माँ, जाड़ों में अलाव
सुहानी शाम
राजीव गोयल
माँ का आँचल
राहत का बादल
होता संबल
-राजीव निगम 'राज'
मन गुबार
धुंध ही धुंध छायी
दृश्यता घटी
-सुरंगमा यादव
रहे न रहे
सिर्फ माँ याद आती
दुःख की वेला
-रमेश कुमार सोनी
बहला गया
माँ तेरा स्पर्श मुझे
सहला गया
सूर्य नारायण गुप्त 'सूर्य'
जुगल बंदी
कैसी हो मम्मी
बड़े बच्चे भटके
पूछना भूले
-रमेश कुमार सोनी
मैया सिकुड़ी
संसार फैलाकर
कोने में पडी
-अभिशेख जैन
-----------------
जा नहीं सका
खुदा हर घर में
तो माँ भेज दी
-राजीव गोयल
माँ की ममता
कोई नहीं समता
अतुलनीय
-रंजना वर्मा
रंग अनंत
रब ने, माँ में उन्हें
किया जीवंत
सूर्य किरण सोनी 'सरोज'
मातृ दिवस
माँ की तस्वीर पर
फूलों की लड़ी !
विष्णु प्रिय पाठक
होकर चूर
सपनों का दर्पण
देता चुभन
-सुरंगमा यादव
हूँ मजबूर
वतन की खातिर
अपने दूर
सूर्य कारन 'सरोज'
नींद न हंसी
पत्थरों के देश में
प्रीति यूं फंसी
सूर्य नारायण 'सूर्य'
जग के लिए
संचित करे गुरु
ज्ञान का मधु
-सुरंगमा यादव
हवा की धुन
थिरकती डालियाँ
पाँव के बिन
सुरंगमा यादव
लूट ले गया
एक नर पिशाच
कुंवारे ख्वाब
-राजीव गोयल
नैन प्रपात
भीगे मसि-कागद
लौटी बारात
पुष्पा सिन्धी
मेघा बरसे
भागी उन्मादी नदी
तोड़ किनारे
-राजीव गोयल
दुष्ट मनई
जहां रही तहवाँ
करी कनई
-भीष्म प्रजापति
मेघ चिरौरी
भरो राम तलैया
प्यासी चिरैया
-सुरंगमा यादव
धुंधला चाँद
क्षितिज छोर पर
निशा का आंसू
-डा, रंजना वर्मा
मिट्टी का दीया
कुम्हारिन का दर्द
किसने जिया
सुशील शर्मा
गोधूली शाम
रामधुन के स्वर
ऊंघता गाँव
-सुशील शर्मा
हो जाती सुखी
निहार रवि मुख
सूरजमुखी
-कमल कपूर
शाख पे बैठे
शांत और गुमसुम
जवाकुसुम
-कमल कपूर
गोरे सजीले
सुरभि के टोकरे
श्वेत मोगरे
-कमल कपूर
पिरोता रहा
यादों की डोरियों में
आंसू के मोती
-राजीव गोयल
चाल में सर्प
श्रृंग से भू पे जल
सद्यस्नाता स्त्री
-विभा रानी श्रीवास्तव
मेल-मिलाप
जीवन के वृत्त में
खुशी की चाप
बलजीत सिंह
शुद्ध निश्छल
बहता प्रतिपल
आगत कल
-सुशील शर्मा
आँखों के घड़े
अंसुअन से भरे
कंठ हैं प्यासे
-रमेश कुमार सोनी
भोर का रवि
कैसी निराली छवि
तिमिर हवि
-डा. रंजना वर्मा
प्रेम का सेतु
सहज पूरी हुई
दिलों की दूरी
-सुरंगमा यादव
रात अंधेरी
गा रही तनहाई
मौन सुनता
-डा. रंजना वर्मा
मुदित गाँव
पत्तों की पायलिया
वृक्षों के पाँव
-पुष्पा सिन्धी
समुद्री द्वीप
बलखाती लहरें
मेघ समीप
-सूर्य करण 'सरोज'
तारा भू टूटा
रहा कोई खड़ा
चोटी पे सदा
राजीव गोयल
थका बटोही
आम्र कुंजों ने थामीं
स्वेद की बूँदें
-रमेश कुमार सोनी
चाँद ले आया
सपनों की गठरी
नींद ले उड़ी
-नरेंद्र श्रीवास्तव
चीख न सुनी
अंधे बहरे गूंगे
गुज़रे लोग
-नरेन्द्र श्रीवास्तव
जलते रिश्ते
प्यार की छाँव ढूँढे
बेचैन मन
-सुरंगमा यादव
जीत के जंग
लौटे बस शरीर
ज़िंदगी हारी
-राजीव गोप्यल
प्रेम में पगी
यादों की सोनपत्ती
सूखी भी हरी
-रमेश कुमार सोनी
गंध रोटी की
बज रहे कंगन
किताब बंद
-तुकाराम खिल्लारे
नीयत सच्ची
मेहनत की रोटी
लगती अच्छी
बलजीत सिंह
सूना पिंजरा
पंछी क्षितिज पर
स्मृति-अम्बार \
-पुष्पा सिन्धी
मेरे मन को
बहका के ले जाती
बहकी हवा
-अमन चांदपुरी
धान लगाती
ढेर सारी गोपियाँ
कजरी गातीं
-अमन चाँदपुरी
श्रम से रोज़
करती गिलहरी
दानों की खोज
-सूर्य करण 'सरोज'
चांदनी छाई
रूप की रानी बन
वह लजाई
-सूर्य नारायण गुप्त
कैसी लड़ाई
मुस्कुराए पड़ोसी
झगड़ें भाई
-बलजीत सिंह
मन की रेत
कुरेदी तनिक सी
नमी ही नमी
-सुरंगमा यादव
फागुन मास
धरा पर चांदनी
करे विलास
-बलजीत सिंह
जेठ की धूप
मध्यान्ह में अकेली
क्रोध से जली
-रमेश कुमार सोनी
मरण-शैया
हंसने लगा बूढा
शैशव फोटो
-तुकाराम खिल्लारे
कैसा शीतल
कल कल बहता
गंगा का जल
-इंद्र कुमार दीक्षित
अन्दरखाने
क्या कुछ चलता
राम न जाने
-इंद्र कुमार दीक्षित
धूप में छाँव
माँ, जाड़ों में अलाव
सुहानी शाम
राजीव गोयल
माँ का आँचल
राहत का बादल
होता संबल
-राजीव निगम 'राज'
मन गुबार
धुंध ही धुंध छायी
दृश्यता घटी
-सुरंगमा यादव
रहे न रहे
सिर्फ माँ याद आती
दुःख की वेला
-रमेश कुमार सोनी
बहला गया
माँ तेरा स्पर्श मुझे
सहला गया
सूर्य नारायण गुप्त 'सूर्य'
जुगल बंदी
कैसी हो मम्मी
बड़े बच्चे भटके
पूछना भूले
-रमेश कुमार सोनी
मैया सिकुड़ी
संसार फैलाकर
कोने में पडी
-अभिशेख जैन
-----------------
जा नहीं सका
खुदा हर घर में
तो माँ भेज दी
-राजीव गोयल
माँ की ममता
कोई नहीं समता
अतुलनीय
-रंजना वर्मा
रंग अनंत
रब ने, माँ में उन्हें
किया जीवंत
सूर्य किरण सोनी 'सरोज'
मातृ दिवस
माँ की तस्वीर पर
फूलों की लड़ी !
विष्णु प्रिय पाठक
होकर चूर
सपनों का दर्पण
देता चुभन
-सुरंगमा यादव
हूँ मजबूर
वतन की खातिर
अपने दूर
सूर्य कारन 'सरोज'
नींद न हंसी
पत्थरों के देश में
प्रीति यूं फंसी
सूर्य नारायण 'सूर्य'
जग के लिए
संचित करे गुरु
ज्ञान का मधु
-सुरंगमा यादव
हवा की धुन
थिरकती डालियाँ
पाँव के बिन
सुरंगमा यादव
लूट ले गया
एक नर पिशाच
कुंवारे ख्वाब
-राजीव गोयल
नैन प्रपात
भीगे मसि-कागद
लौटी बारात
पुष्पा सिन्धी
मेघा बरसे
भागी उन्मादी नदी
तोड़ किनारे
-राजीव गोयल
दुष्ट मनई
जहां रही तहवाँ
करी कनई
-भीष्म प्रजापति
मेघ चिरौरी
भरो राम तलैया
प्यासी चिरैया
-सुरंगमा यादव
धुंधला चाँद
क्षितिज छोर पर
निशा का आंसू
-डा, रंजना वर्मा
मिट्टी का दीया
कुम्हारिन का दर्द
किसने जिया
सुशील शर्मा
गोधूली शाम
रामधुन के स्वर
ऊंघता गाँव
-सुशील शर्मा
हो जाती सुखी
निहार रवि मुख
सूरजमुखी
-कमल कपूर
शाख पे बैठे
शांत और गुमसुम
जवाकुसुम
-कमल कपूर
गोरे सजीले
सुरभि के टोकरे
श्वेत मोगरे
-कमल कपूर
पिरोता रहा
यादों की डोरियों में
आंसू के मोती
-राजीव गोयल
चाल में सर्प
श्रृंग से भू पे जल
सद्यस्नाता स्त्री
-विभा रानी श्रीवास्तव
मेल-मिलाप
जीवन के वृत्त में
खुशी की चाप
बलजीत सिंह
शुद्ध निश्छल
बहता प्रतिपल
आगत कल
-सुशील शर्मा
आँखों के घड़े
अंसुअन से भरे
कंठ हैं प्यासे
-रमेश कुमार सोनी
भोर का रवि
कैसी निराली छवि
तिमिर हवि
-डा. रंजना वर्मा
प्रेम का सेतु
सहज पूरी हुई
दिलों की दूरी
-सुरंगमा यादव
रात अंधेरी
गा रही तनहाई
मौन सुनता
-डा. रंजना वर्मा
मुदित गाँव
पत्तों की पायलिया
वृक्षों के पाँव
-पुष्पा सिन्धी
समुद्री द्वीप
बलखाती लहरें
मेघ समीप
-सूर्य करण 'सरोज'
अनुगृहीत हूँ
जवाब देंहटाएंसादर प्रणाम
वाह सुंदर हाइकुओं का संग्रहण ..... बधाई संग आभार !
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चयन , बधाई ।
जवाब देंहटाएंरमेश कुमार सोनी , बसना
इस हायकुओं का किताब जरूर प्रसिद्ध करें...
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