श्रेष्ठ हिंदी हाइकु - जून माह
रात अंधेरी
अँधेरे में रोशनी
करे तलाश
शिव डोयले
वश न चला '
विवशता बरसी .
नैनों की राह
-सुरंगमा यादव
पडी फुहार
धरा पर बिखरा
नभ का प्यार
-सुरंगमा यादव
पुष्प कमल
नारी का अंतर्मन
शीश महल
सूर्य करण 'सरोज'
कैसा दस्तूर
बेगाने नज़दीक
अपने दूर
-बलजीत सिंह
खुद कमाना
बस दो जून रोटी
रिश्ता पुराना
-इंद्र कुमार दीक्षित
पानी है खून
जंग का जुनून
भूखी बंदूक
-सुशील शर्मा
रंक की भूख
आंसू सहेज कर
पी गई दुख
-सूर्य किरण 'सरोज'
कच्चा मकान
पसर गई नींद
मूंज की खाट
-पुष्पा सिन्धी
प्रत्येक पौधा
पर्यावरण हेतु
बना है योद्धा
-बलजीत सिंह
पुरवा आई
चन्दन बन से वो
खुशबू लाई
-सूर्य नारायण गुप्त 'सूर्य'
लाचार बूढा
भर के गुब्बारों में
बेचता साँसें
-राजीव गोयल
मन की पूंजी
प्रसन्नता की कुंजी
प्रेम सर्वस्व
-सुरंगमा यादव
धूप मार्ग में
तपन का जुलूस
छाँव रक्षक
नरेन्द्र श्रीवास्तव
वृक्षारोपण
नव वस्त्रों से खुश
पर्यावरण
सूर्य कारन 'सरोज'
प्रकृति रोती
धूल धुआं कचरा
जलती छाती
-रमेश कुमार सोनी
धरा विन्यास
हरित आवरण
जग उल्लास
सुरंगमा यादव
एक जंगल
मुट्ठीभर पादप
असंख्य साँसें
सुशील शर्मा
पिघली बर्फ
झुकता हिमालय
जल संकट
-डा. रंजना वर्मा
झील में चाँद
नहाया रातभर
तर-ओ-ताज़ा
-भीम प्रसाद प्रजापतिं
डाली का फूल
नाजुक सी ज़िंदगी
करे कबूल
-बलजीत सिंह
बोई जो नींद
अंखियों के गमले
उगे सपने
-राजीव गोयल
अनाथ बच्ची
लावारिस घूमती
कटी पतंग
-विष्णु प्रिय पाठक
बांह पसार
मेघों की मनुहार
करते वृक्ष
-सुरंगमा यादव
बंजारा मन
जाएगा किस ओर
कोई न जाने
-सुरंगमा यादव
मंद हवा सी
छू लूं चुपचाप
रूप तुम्हारा
-सुरंगमा यादव
रात ने फोडी
सियाही की मटकी
धरा बेरंग
-राजीव गोयल
लापरवाही
कागज़ न कलम
खरीदी स्याही
बलजीत सिंह
झूमते वृक्ष
इठलाती बारिश
नहाता पानी
सुशील शर्मा
आषाढी आस
कृषक स्वप्न बोता
बेटी का गौना
पुष्पा सिन्धी
सघन वन
डोल रही पवन
बजे झांझर
डा. रंजना वर्मा
जुगल बंदी
-----------
हवा का झूला
झूल रही ज़िंदगी
पतली डोर
डा. रंजना वर्मा
साँसों की लय
चलती रहे यूँ ही
कहे पवन
सुरंगमा यादव
--------------
सूखी खेतियाँ
बह चला आँखों से
एक दरिया
-राजीव गोयल
प्राथमिक हो
दायित्व का निर्वाह
वास्तविक हो
-निगम 'राज़'
तोड़ता बाँध
लहरों का उछाल
पूरा है चाँद
-राजीव गोयल
पिता का नाम
आता ताउम्र काम
उसे सलाम
-निगम 'राज़'
नि:शब्द हूँ मैं
पितृ दिवस आज
पापा कहाँ हैं ?
-पुष्पा सिन्धी
पिता का होना
सूरज का उजाला
चाँदनीं रातें
नरेन्द्र श्रीवास्तव
लड़ाई में भी
अपनी औलाद से
हारते पिता
-शिव डोयले
हर सांस पे
पिता का हस्ताक्षर
भूलें तो कैसे ?
-सुरंगमा यादव
सुमन खिला
उपवन महका
छू गई हवा
-डा. रंजना वर्मा
आवागमन
श्वास-प्रियतमा का
यही जीवन
निगम 'राज़'
मन बैसाख
सावन सी बरसी
प्रेम फुहार
-सुरंगमा यादव
चाँद बुनता
चांदनी की चूनर
ओढ़ती धरा
-राजीव गोयल
बरसो मेघ
फट रही बिवाई
धरा के पैर
-राजीव गोयल
निशा विहंसी
गगन पर बिखरे
रजत पुष्प
सुरंगमा यादव
भागते रहे
अपने परायों से
कभी खुद से
सुरंगमा यादव
अतिविस्तृत
खगों का कर्म क्षेत्र
नभ असीम
-डा. रंजना श्रीवास्तव
चन्द्र प्रकाश
देती रही मन को
ठण्ड मिठास
-बी पी प्रजापति
पहली वर्षा
चीटीं बनाने लगीं
अपना घर
विष्णु प्रिय पाठक
तुम्हारे बिन
पतझड़ का वृक्ष
मेरा जीवन
-सुरंगमा यादव
धर दबोचें
भागते सपनों को
जिद के हाथ
-अभिषेक जैन
ईंगुर गोली
वर्षा की हमजोली
बीरबहूटी
-डा. रंजना वर्मा
बीमार दादा
मरम्मत न हुआ
जर्जर छाता
-पुष्पा सिन्धी
बरखा रानी
पात पात बिखरीं
हीरे की कनीं
-सुरंगमा यादव
कबीर मन
कभी बाहर खड़ा
कभी अंतस
-सुशील शर्मा
वक्त की गर्द
आँगन में पसरी
बंद मकान
-डा. राजीव गोयल
ढलता रवि
उफ़क पे बिखेरे
अनूठे रंग
(हाइगा) -डा. राजीव गोयल
जुगलबंदी
---------
प्यासी नदिया
समंदर किनारे
भाग्य कोसती
शिव डोयले
प्यासी नदिया
मेघ बरसने की
बात जोहती
डा. राजीव गोयल
-------------
यादों का देश
भटकता फिरता
एकाकी मन
-सुरंगमा यादव
मुग्ध वल्लरी
सावन की डोकरी
जादूगरनी
-पुष्पा सिंघी
आँखों ने देखे
बारिश के सपने
फिसले पैर
डा. राजीव गोयल
रात अंधेरी
अँधेरे में रोशनी
करे तलाश
शिव डोयले
वश न चला '
विवशता बरसी .
नैनों की राह
-सुरंगमा यादव
पडी फुहार
धरा पर बिखरा
नभ का प्यार
-सुरंगमा यादव
पुष्प कमल
नारी का अंतर्मन
शीश महल
सूर्य करण 'सरोज'
कैसा दस्तूर
बेगाने नज़दीक
अपने दूर
-बलजीत सिंह
खुद कमाना
बस दो जून रोटी
रिश्ता पुराना
-इंद्र कुमार दीक्षित
पानी है खून
जंग का जुनून
भूखी बंदूक
-सुशील शर्मा
रंक की भूख
आंसू सहेज कर
पी गई दुख
-सूर्य किरण 'सरोज'
कच्चा मकान
पसर गई नींद
मूंज की खाट
-पुष्पा सिन्धी
प्रत्येक पौधा
पर्यावरण हेतु
बना है योद्धा
-बलजीत सिंह
पुरवा आई
चन्दन बन से वो
खुशबू लाई
-सूर्य नारायण गुप्त 'सूर्य'
लाचार बूढा
भर के गुब्बारों में
बेचता साँसें
-राजीव गोयल
मन की पूंजी
प्रसन्नता की कुंजी
प्रेम सर्वस्व
-सुरंगमा यादव
धूप मार्ग में
तपन का जुलूस
छाँव रक्षक
नरेन्द्र श्रीवास्तव
वृक्षारोपण
नव वस्त्रों से खुश
पर्यावरण
सूर्य कारन 'सरोज'
प्रकृति रोती
धूल धुआं कचरा
जलती छाती
-रमेश कुमार सोनी
धरा विन्यास
हरित आवरण
जग उल्लास
सुरंगमा यादव
एक जंगल
मुट्ठीभर पादप
असंख्य साँसें
सुशील शर्मा
पिघली बर्फ
झुकता हिमालय
जल संकट
-डा. रंजना वर्मा
झील में चाँद
नहाया रातभर
तर-ओ-ताज़ा
-भीम प्रसाद प्रजापतिं
डाली का फूल
नाजुक सी ज़िंदगी
करे कबूल
-बलजीत सिंह
बोई जो नींद
अंखियों के गमले
उगे सपने
-राजीव गोयल
अनाथ बच्ची
लावारिस घूमती
कटी पतंग
-विष्णु प्रिय पाठक
बांह पसार
मेघों की मनुहार
करते वृक्ष
-सुरंगमा यादव
बंजारा मन
जाएगा किस ओर
कोई न जाने
-सुरंगमा यादव
मंद हवा सी
छू लूं चुपचाप
रूप तुम्हारा
-सुरंगमा यादव
रात ने फोडी
सियाही की मटकी
धरा बेरंग
-राजीव गोयल
लापरवाही
कागज़ न कलम
खरीदी स्याही
बलजीत सिंह
झूमते वृक्ष
इठलाती बारिश
नहाता पानी
सुशील शर्मा
आषाढी आस
कृषक स्वप्न बोता
बेटी का गौना
पुष्पा सिन्धी
सघन वन
डोल रही पवन
बजे झांझर
डा. रंजना वर्मा
जुगल बंदी
-----------
हवा का झूला
झूल रही ज़िंदगी
पतली डोर
डा. रंजना वर्मा
साँसों की लय
चलती रहे यूँ ही
कहे पवन
सुरंगमा यादव
--------------
सूखी खेतियाँ
बह चला आँखों से
एक दरिया
-राजीव गोयल
प्राथमिक हो
दायित्व का निर्वाह
वास्तविक हो
-निगम 'राज़'
तोड़ता बाँध
लहरों का उछाल
पूरा है चाँद
-राजीव गोयल
पिता का नाम
आता ताउम्र काम
उसे सलाम
-निगम 'राज़'
नि:शब्द हूँ मैं
पितृ दिवस आज
पापा कहाँ हैं ?
-पुष्पा सिन्धी
पिता का होना
सूरज का उजाला
चाँदनीं रातें
नरेन्द्र श्रीवास्तव
लड़ाई में भी
अपनी औलाद से
हारते पिता
-शिव डोयले
हर सांस पे
पिता का हस्ताक्षर
भूलें तो कैसे ?
-सुरंगमा यादव
सुमन खिला
उपवन महका
छू गई हवा
-डा. रंजना वर्मा
आवागमन
श्वास-प्रियतमा का
यही जीवन
निगम 'राज़'
मन बैसाख
सावन सी बरसी
प्रेम फुहार
-सुरंगमा यादव
चाँद बुनता
चांदनी की चूनर
ओढ़ती धरा
-राजीव गोयल
बरसो मेघ
फट रही बिवाई
धरा के पैर
-राजीव गोयल
निशा विहंसी
गगन पर बिखरे
रजत पुष्प
सुरंगमा यादव
भागते रहे
अपने परायों से
कभी खुद से
सुरंगमा यादव
अतिविस्तृत
खगों का कर्म क्षेत्र
नभ असीम
-डा. रंजना श्रीवास्तव
चन्द्र प्रकाश
देती रही मन को
ठण्ड मिठास
-बी पी प्रजापति
पहली वर्षा
चीटीं बनाने लगीं
अपना घर
विष्णु प्रिय पाठक
तुम्हारे बिन
पतझड़ का वृक्ष
मेरा जीवन
-सुरंगमा यादव
धर दबोचें
भागते सपनों को
जिद के हाथ
-अभिषेक जैन
ईंगुर गोली
वर्षा की हमजोली
बीरबहूटी
-डा. रंजना वर्मा
बीमार दादा
मरम्मत न हुआ
जर्जर छाता
-पुष्पा सिन्धी
बरखा रानी
पात पात बिखरीं
हीरे की कनीं
-सुरंगमा यादव
कबीर मन
कभी बाहर खड़ा
कभी अंतस
-सुशील शर्मा
वक्त की गर्द
आँगन में पसरी
बंद मकान
-डा. राजीव गोयल
ढलता रवि
उफ़क पे बिखेरे
अनूठे रंग
(हाइगा) -डा. राजीव गोयल
जुगलबंदी
---------
प्यासी नदिया
समंदर किनारे
भाग्य कोसती
शिव डोयले
प्यासी नदिया
मेघ बरसने की
बात जोहती
डा. राजीव गोयल
-------------
यादों का देश
भटकता फिरता
एकाकी मन
-सुरंगमा यादव
मुग्ध वल्लरी
सावन की डोकरी
जादूगरनी
-पुष्पा सिंघी
आँखों ने देखे
बारिश के सपने
फिसले पैर
डा. राजीव गोयल
सभी हाइकु पढ़े .... बहुत अच्छे लगे ।
जवाब देंहटाएंमेरे हाइकुओं का चयन मेरा उत्साहवर्धन करता है ...आभार संग धन्यवाद !
सादर प्रणाम
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