शनिवार, 9 फ़रवरी 2019

फरवरी माह के श्रेष्ट हाइकु


मावसी रात
बिखेरते  चांदनी
जूही के फूल
     -राजीव गोयल
विजय पथ
धूमिल कर जाएं
हारी आशाएं
      सुरंगमा यादव
होतेही भोर
चुगें धूप के हंस
ओस के मोती
      -राजीव गोयल
अंतर मन में
कितनी कवितायेँ
लिखते आंसू
        -सुरंगमा यादव
रिश्ता मंहगा
जीवन के बाज़ार
अकेला लौटा
       -रमेश कुमार सोनी
जीवन सत्ता
सुख-दुःख के साथ
गठबंधन
       सुरंगमा यादव
छोड़ा जो साथ
पतंग की डोर का
लूट ली गई
        -राजीव गोयल
लिए सलाई
दिन बुनता रहा
कल के ख़्वाब
       -शिव डोयले
कभी न पटे
प्रीत-नींद सौतन
भूखे ही सोए
      -रमेश कुमार सोनी
शाखों में झूमे
वासंती गुजरिया
मन बहके
       रमेश कुमार सोनी
ऋतु बसंत
देती यह आनंद
हमें अनंत
       -बलजीत सिंह
ऋतु बसंत
खोज रहा मन
अपना कंत
       -भीम प्रसाद प्रजापति
माघ पंचमी
ऋतुराज पधारे
हर्षित सारे
      -सुरंगमा यादव
जीवन-नाद
भोर का आना तय
रात के बाद
      -पुष्पा सिन्धी
प्रेम कस्तूरी
मन मृग भीतर
ढूँढे बाहर
      -सुरंगमा यादव
ले प्रतिशोध
करना आचमन
शत्रु लहू से
      -डा, रंजना वर्मा
उठा उबाल
विछिन्न कर देंगे
शत्रु का भाल
      -सुरंगमा यादव
शब्दों के बीज
कागजके खेतों पे
उगाते गीत
       -राजीव गोयल
अश्रु से भरी
दर्द नदी बहती
बंजर मन
      रमेश कुमार सोनी     
पूरन मास
विराहियों में उठी
मिलन प्यास
      -सूर्य किरण सोनी
हृदय चीर
नयनों से निकली
रिश्तों की पीर
        -सूर्यकिरण सोनी
बहरा हुआ \
चिल्ल पों शहर में
रोज़  तमाशा
    -रमेश कुमार सोनी
जीत के जंग
सरहद से लौटे
सिर्फ बदन
       -राजीव गोयल 
-------------------------------------
----------------------------------------
समाप्त 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें